Navratri 2019: छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा, कन्याओं को मिलता है मनचाहे वर का वरदान, जानें पूजन का विधान और मंत्र
शारदीय नवरात्रि के छठें दिन माता कात्यायनी की पूजा-अर्चना की परंपरा है. माता कात्यायनी ने ही दैत्यराज महिषासुर का वध कर संसार को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी, इसीलिए उन्हें महिषासुरमर्दिनी भी कहा जाता है. पूरे विधि-विधान के साथ इनकी पूजा-अर्चना करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं साथ ही भय एवं रोगों से मुक्ति मिलती है.
Navratri 2019: शारदीय नवरात्रि (Sharad Navratri) के छठें दिन माता कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा-अर्चना की परंपरा है. देवी पुराण के अनुसार महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर माता दुर्गा (Maa Durga) ने उन्हें वरदान दिया था कि उनके घर कन्या जन्म लेगी, जिसकी पूजा दुनिया करेगी. इसी वरदान को फलीभूत करने के लिए माता दुर्गा ने महर्षि कात्यायन के घर में जन्म लिया था. इसीलिए इन्हें देवी कात्यायनी (Devi Katyayani) के नाम से पुकारा जाता है. माता कात्यायनी ने ही दैत्यराज महिषासुर का वध कर संसार को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी, इसीलिए उन्हें महिषासुरमर्दिनी भी कहा जाता है. पूरे विधि-विधान के साथ इनकी पूजा-अर्चना करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं साथ ही भय एवं रोगों से मुक्ति मिलती है.
माता कात्यायनी का शालीन स्वरूप
माता की कुल चार भुजाएं हैं, इन चार हाथों में अस्त्र-शस्त्र एवं कमल पुष्प विद्यमान है. सिंह पर सवारी करने वाली माता कात्यायनी को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि श्रीकृष्ण के प्रेम की दीवानी गोपियों ने श्रीकृष्ण को पाने के लिए माता कात्यायनी की पूजा की थी. कहा जाता है कि जिनका विवाह नहीं हो रहा है, अथवा विवाह में देरी हो रही है तो माता कात्यायनी की विधिवत पूजा करने से माँ के आशीर्वाद से मनपसंद वर की प्राप्ति होती है. कन्याओं के शीघ्र और मनपसंद विवाह के लिए इनकी पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार माता कात्यायनी की पूजा 4 अक्टूबर शुक्रवार को है.
विवाह के बुरे योग मिटते हैं
इस दिन माता कात्यायनी की पूजा करने से मनचाहा वर तो मिलता ही है, अगर आपके प्रेम विवाह में किसी तरह की बाधाएं आ रही हैं तो माता के आशीर्वाद से वे बाधाएं भी दूर हो जाती हैं. अगर आपकी कुँडली में विवाह के योग कमजोर हैं तो माता कात्यायनी की पूजा व्रत करने से सारी सारे योग आपके पक्ष में हो जाते हैं. यह भी पढ़ें: Navratri 2019: नवरात्रि के पांचवें दिन होती है ‘स्कंदमाता’ की पूजा! इन मंत्रों से मिलता है संतान-सुख
माता कात्यायनी की पूजा का विधान
नवरात्रि के छठे दिन प्रातःकाल उठकर स्नान-ध्यान करें. पूरे दिन उपवास रखते हुए संध्याकाल के समय पीले अथवा लाल रंग के वस्त्र पहनें. एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर माता कात्यायनी की तस्वीर रखें. अब इन्हें पीला फूल और पीले रंग का नैवेद्य चढ़ाएं. इसके पश्चात देवी माता को शहद चढ़ाएं. बेहतर होगा शहद चांदी अथवा मिट्टी के पात्र में चढ़ाएं. इसके पश्चात माता को पीले रंग का सुंगधित फूल चढ़ाते हुए मन्नत मानें और पीली हल्दी की गांठ चढ़ाएं तो माता भक्त की हर इच्छाएं पूरी करती हैं. लेकिन पूजा करते हुए निम्न मंत्रों का जाप जरूर करें.
"कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।"
पूजा के पश्चात भक्त हल्दी की गांठ उठकर अपनी तिजोरी में सुरक्षित रख लें. इससे आपके घर में सुख एवं समृद्धि बरसेगी. अगर आपने कुछ मन्नत मानी है तो वह भी शीघ्र ही पूरी होगी.