मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है और यह नए इस्लामिक वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है. मुसलमानों के बीच मुहर्रम का बहुत महत्व है. इस पवित्र महीने को हिजरी और 'अल्लाह का महीना' भी कहा जाता है. मुस्लिम लोगों को धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इस्लामिक कैलेंडर 12 चंद्र महीनों पर आधारित है, अमावस्या का दिखना एक नए महीने की शुरुआत निर्धारित करता है. 2023 में मुहर्रम 19 जुलाई 2023 बुधवार से शुरू होगा. यह भी पढ़ें: Mangal Pandey Birth Anniversary 2023: देश का प्रथम क्रांतिकारी सिपाही मंगल पांडे! उन्हें जल्लाद ने फांसी पर लटकाने से क्यों मना किया?
मुसलमानों के बीच मुहर्रम का बहुत महत्व है. यह दिन पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली की मृत्यु की याद दिलाता है. मुहर्रम मुस्लिम उम्माह के लिए भी स्मरण का समय है. इस्लामिक कैलेंडर के 61वें वर्ष में 10वें मुहर्रम (आशूरा का दिन) को कर्बला की लड़ाई हुई और पैगंबर के प्रिय पोते इमाम हुसैन को बेरहमी से शहीद कर दिया गया. जिस महीने में युद्ध करना वर्जित था, उसी महीने में उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई. लोग आशूरा से 9वें दिन उपवास रखते हैं. इस पवित्र महीने को हदीस में अल्लाह का महीना भी कहा गया है. यह इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, जो मुसलमानों के मदीना में हिजरत (प्रवास) और 622 ईस्वी में पहले इस्लामी राज्य की स्थापना का प्रतीक है. इस दिन पाक दिन पर हम आपके लिए ले आए कुछ मैसेजेस जिन्हें आप HD Wallpapers और GIF Images के जरिए भेज सकते हैं और इमाम हुसैन की शहादत को याद कर सकते हैं. ये मैसेज हमने इंटरनेट से लिए हैं.
1. खुशियों का सफर तो गम से शुरू होता है,
हमारा तो नया साल मुहर्रम से शुरू होता है
2. फलक पर शोक का बादल अजीब सा छाया है,
जैसे कि माह मुहर्रम का नजदीक आया है.
3. कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है
यूं तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिन
हुसैन ने वो सज़दा किया, जिस पर खुदा को नाज़ है
4. करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने,
ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,
लहू जो बह गया कर्बला में,
उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने.
5. अपनी तकदीर जगाते हैं, तेरे मातम से,
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से,
अपन इजहारे-ए-अकीदत का सिलसिला ये है,
हम नया साल मनाते हैं तेरे मातम से
आशूरा मुहर्रम का 10वां दिन है. लोगों को इस पवित्र दिन पर रोज़ा रखना चाहिए. आशूरा दिवस अल्लाह के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर है. आशूरा के दिन बड़ी संख्या में मुसलमानों द्वारा जुलूस निकाले जाते हैं. वे मातम करते हैं. कुछ लोग मस्जिदों में जाते हैं, दुआ करते हैं और वहां समय बिताते हैं, हुसैन की मृत्यु पर रोते हैं और उनकी शहादत को याद करते हैं.