Margashirsha Vrat 2019: मार्गशीर्ष मास के हर गुरुवार को लक्ष्मी-पूजा के साथ करें दीप-दान, दूर होगी दरिद्रता! सुखमय जीवन के लिए ऐसा करने से बचें!

मार्गशीर्ष मास को अगहन मास के नाम से भी जाना जाता है. हिंदु शास्त्रों में इस मास के प्रत्येक गुरुवार की विशेष महिमा बताई गई है. क्योंकि इस दिन हर हिंदू घरों में भगवान विष्णु के साथ उनकी पत्नी मां लक्ष्मी जी की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है. अगहन मास के पहले गुरुवार के दिन यह पूजा शुरू करके इसी माह के अंतिम गुरूवार को इसका समापन किया जाता है.

माता लक्ष्मी, (फोटो क्रेडिट्स: File Photo)

Margashirsha Vrat 2019: मार्गशीर्ष मास को अगहन मास के नाम से भी जाना जाता है. हिंदु शास्त्रों में इस मास के प्रत्येक गुरुवार की विशेष महिमा बताई गई है. क्योंकि इस दिन हर हिंदू घरों में भगवान विष्णु के साथ उनकी पत्नी मां लक्ष्मी जी की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है. अगहन मास के पहले गुरुवार के दिन यह पूजा शुरू करके इसी माह के अंतिम गुरूवार को इसका समापन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी जी का व्रत-अनुष्ठान करने से लक्ष्मी जी की कृपा से दरिद्रता दूर होती है, एवं सुख, संपत्ति तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

व्रत एवं पूजा का विधान

यूं तो साल के किसी भी माह के प्रथम गुरुवार से यह पूजा एवं व्रत शुरु किया जा सकता है, लेकिन अगहन मास के पहले गुरुवार (बृहस्पतिवार) को देवी लक्ष्मी की पूजा ज्यादा श्रेयस्कर बताया जाता है. प्रथम गुरुवार को व्रत एवं पूजा करने के बाद शेष तीन गुरुवार को आठ सुहागनों या कुंवारी कन्याओं को आमंत्रित कर उनका चरण स्पर्श करें, उन्हें साफ आसन पर बिठाकर, उन्हें हल्दी कुमकुम लगाएं तथा प्रसाद एवं उपहार देकर सम्मान से उनकी विदाई करें. शास्त्रों में यह भी उल्लेखित है कि यह व्रत एवं लक्ष्मी पूजन महिलाएं ही नहीं पुरुष अथवा दोनों ही मिलकर भी कर सकते हैं. इस दिन उपवास रखने वाले जातक को पूरे दिन केवल दूध, दही, फल आदि का सेवन करना चाहिए. शाम को देवी लक्ष्मी एवं विष्णु जी की पूजा करके भोग लगाएं, उसके बाद परिवार के साथ बैठकर भोजन करें. पद्म पुराण में भी उल्लेखित है कि यह व्रत पति-पत्नी को मिलकर करना सर्वोत्तम होता है. इस व्रत में कथा सुनने-सुनाने का विशेष महात्म्य है. इसलिए पूजा करते समय अड़ोस-पड़ोस के लोगों को बुलाकर उन्हें भी कथा सुनाएं एवं पूजा के पश्चात उन्हें प्रसाद दें. अगर किसी अगहन मास में पांच गुरुवार पड़ता है तो पांचों गुरुवार को पूजा-व्रत करना चाहिए. अगर अगहन मास के किसी गुरुवार को कोई और व्रत पड़ता है तो उसके साथ लक्ष्मी जी की भी पूजा अवश्य करें. कुछ लोग इसे केसरी व्रत के नाम से भी जानते हैं.

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रात्रि में जागकर करें माता लक्ष्मी की प्रतीक्षा

अगहन मास के पहले गुरुवार की सुबह महिलाएं या पुरुष अथवा दोनों ही ब्रह्म मुहूर्त से पूर्व स्नान-ध्यान कर माँ लक्ष्मी एवं विष्णुजी की विधिवत पूजा करें एवं आंवला फल, पंचमेवा और खीर-पूड़ी का भोग लगाएं. तत्पश्चात लक्ष्मी को दीप दान करें. इस दिन शंख की पूजा का भी विशेष महत्व बताया जाता है. कुछ जगहों पर सुहागिनें बुधवार की रात में ही घर को साफ कर, चावल के लेप से रंगोली बनाती हैं और सारी रात जाग कर मां लक्ष्मी के आगमन का इंतजार करती है.

गुरुवार के दिन ऐसा करने से बचें

बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि गुरुवार के दिन कुछ कार्य वर्जित होते हैं, जिन्हें करने से बचना चाहिए. वरना लक्ष्मी जी रूठ सकती हैं. खासकर तब जब आप अगहन मास के गुरुवारों को लक्ष्मी जी की विशेष पूजा अनुष्ठान कर रहे हों. आइये जानें वे कौन-कौन से कार्य हैं, जिनके करने से लक्ष्मी जी नाराज होती हैं.

बाल नहीं धोएं

गुरुवार के दिन महिलाओं को बाल नहीं धोना चाहिए. दरअसल महिलाओं की जन्मकुंडली में पति और संतान दोनों का कारक बृहस्पति ग्रह होता है. इस तरह अकेला बृहस्पति संतान और पति दोनों के जीवन को प्रभावित करता है. इस वजह से बृहस्पतिवार को सिर धोने से बृहस्पति कमजोर होता है, जिससे बृहस्पति का शुभ प्रभाव प्रभावित होता है.

नाखून नहीं काटना चाहिए

गुरुवार के दिन नाखून काटना धन हानि का संकेत माना जाता है. इसका सबसे बुरा असर घर के मुखिया की आय पर पड़ता है. उसके सामने तमाम आर्थिक संकट उसके हर कार्यो में बाधा बनती है. परिवार का सदस्य छोटे-मोटे रोगों से परेशान रहता है. नाखून न काटने की बंदिश पुरुषों पर भी लागू होती है.

बाल कटवाने से बचेः-

जिस वजह से गुरुवार को बाल नहीं धोते, उसी वजह से बाल भी नहीं कटवाते हैं. इसका गलत असर संतान और पति के जीवन पर पड़ता है. उनकी उन्नति बाधित होती है. पत्नी ही नहीं पति अथवा घर के पुरुषों को भी गुरुवार के दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए.

पोंछा लगाना भी वर्जित

जिस तरह से बृहस्पति का शरीर पर प्रभाव रहता है, उसी तरह घर पर भी बृहस्पति का गहरा प्रभाव होता है. वास्तु अनुसार घर में ईशान कोण का स्वामी गुरु होता है. ईशान कोण का संबंध परिवार के छोटे सदस्यों से होता है. ईशान कोण धर्म और शिक्षा की दिशा है. पोछा लगाने से घर का ईशान कोण कमजोर होता है. घर के सदस्यों के शिक्षा, धर्म आदि पर शुभ प्रभाव में कमी आती है. बेहतर होगा कि इस दिन घर की सूखी सफाई (झाड़ू-बुहारू) ही की जाए.

किसी भी स्त्री अथवा पुरुष की जन्मकुंडली में दूसरा और ग्यारहवें भाव में धन का स्थान होता है. इन दोनों का कारक गुरु ग्रह होता है. दाढ़ी बनवाने से गुरु ग्रह कमजोर पड़ता है, जिसकी वजह से आय के स्त्रोत रुक जाते हैं. धन लाभ के हर मार्ग में किसी न किसी तरह का अवरोध आता रहता है. इसीलिए गुरुवार के दिन शेविंग करना निषेध माना गया है.

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