Margashirsha Guruvar Vrat 2019 Date: कब से शुरू हो रहा है मार्गशीर्ष गुरुवार का व्रत, जानिए महालक्ष्मी की पूजा विधि, व्रत की तिथियां और इसका महत्व
मार्गशीर्ष गुरुवार महालक्ष्मी व्रत 2019 (Photo Credits: File Image)

Margashirsha Guruvar Vrat 2019 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष का पावन महीना (Margashirsha Month) चल रहा है, लेकिन मराठी कैलेंडर (Marathi Calendar) के नौंवे महीने मार्गशीर्ष की शुरुआत 27 नवंबर से होगी और 26 दिसंबर को इस महीने का समापन होगा. जिस तरह से सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है और सोमवार को व्रत किया जाता है. उसी तरह मार्गशीर्ष महीने के हर गुरुवार को धन और ऐश्वर्य की देवी महालक्ष्मी का व्रत (Mahalakshmi Vrat) और पूजन किया जाता है. मार्गशीर्ष महीना भगवान श्रीकृष्ण और देवी लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है. इस महीने महिलाएं मार्गशीर्ष गुरुवार व्रत (Margashirsha Guruvar Vrat) का पालन करती हैं, जिसे महालक्ष्मी व्रत के नाम से भी जाना जाता है.

माता लक्ष्मी की कृपा और सुख-समृद्धि की कामना से अधिकांश विवाहित महिलाएं मार्गशीर्ष गुरुवार का व्रत रखती हैं. महालक्ष्मी व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक किया जाता है. इस दिन घर की अच्छे से सफाई की जाती है और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. घर के मुख्य द्वार पर देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए सुंदर रंगोली बनाई जाती है. चलिए जानते हैं कब से मार्गशीर्ष गुरुवार का व्रत शुरू हो रहा है. इसके साथ ही जानते हैं इस महीने पड़ने वाले गुरुवार व्रत की तिथियां और इसका महत्व. यह भी पढ़ें: Sharad Purnima 2019: कब है शरद पूर्णिमा, इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा से आती है जीवन में सुख-समृद्धि, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

मार्गशीष गुरुवार व्रत की तिथियां

इस साल मार्गशीष मास की शुरुआत 27 नवंबर 2019 से हो रही है और समापन 26 दिसंबर 2019 को होगा.

पहले गुरुवार का व्रत- 28 नवंबर 2019.

दूसरे गुरुवार का व्रत- 5 दिसंबर 2019.

तीसरे गुरुवार का व्रत- 12 दिसंबर 2019.

चौथे गुरुवार का व्रत- 19 दिसंबर 2019.

व्रत व पूजन की विधि-

  • मार्गशीर्ष गुरुवार के दिन एक चौकी पर लाल या पीले रंग के वस्त्र बिछाएं.
  • अब एक कलश में जल भरकर उसमें अक्षत, सुपारी, दूर्वा और सिक्का डालें.
  • कलश के मुख पर आम या अशोक की पांच से सात पत्तियां रखें.
  • इसके बाद कलश पर नारियल रखकर, उस पर हल्दी-कुमकुम लगाएं.
  • कलश की पूजा करके एक प्लेट में चावल भरकर उसके ऊपर कलश स्थापित करें.
  • कलश के ऊपर रखे हुए नारियल को फूल- माला अर्पित करें.
  • कलश स्थापना के साथ कुछ लोग उसे आभूषण और कपड़ों से सजाते हैं.
  • अब देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को कलश के पास स्थापित करें.
  • देवी की प्रतिमा को हल्दी-कुमकुम लगाएं और फूलों से उनका श्रृंगार करें.
  • फिर देवी लक्ष्मी को मिठाई, खीर और फलों का भोग लगाकर दीप प्रज्जवलित करें.
  • इसके बाद माला लक्ष्मी का ध्यान करें और वैभव लक्ष्मी की व्रत कथा पढ़ें अथवा सुनें.
  • इसके साथ ही महालक्ष्मी नमन अष्टक का पाठ करें और अंत में आरती उतारें. यह भी पढ़ें: शुक्रवार विशेष: सिंदूर से करें माता लक्ष्मी को प्रसन्न, दुख और दरिद्रता से मिलेगी मुक्ति

गौरतलब है कि महालक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है. मान्यता है कि जब माता लक्ष्मी अपने भक्तों पर प्रसन्न होती हैं तो उनके जीवन को सुख-समृद्धि से भर देती हैं. मार्गशीर्ष महीने के गुरुवार का व्रत वैसे तो विवाहित महिलाएं करती हैं, लेकिन इस व्रत को पति-पत्नी एक साथ कर सकते हैं. इस व्रत का समापन मार्गशीर्ष महीने के आखिरी गुरुवार को विधिवत किया जाता है.