Mahesh Navami Wishes 2022: महेश नवमी पर ये हिंदी विशेज WhatsApp Stickers, GIF Images और HD Wallpapers के जरिए भेजकर दें बधाई
हिंदू धर्म में महेश नवमी (Mahesh Navami) का विशेष महत्व है. यह पावन दिन भगवान शंकर व माता पार्वती को समर्पित है. हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को महेश नवमी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ व माता पार्वती की विधिवत पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं....
Mahesh Navami Wishes 2022: हिंदू धर्म में महेश नवमी (Mahesh Navami) का विशेष महत्व है. यह पावन दिन भगवान शंकर व माता पार्वती को समर्पित है. हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को महेश नवमी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ व माता पार्वती की विधिवत पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस साल महेश नवमी 9 जून को पड़ रही है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महेश नवमी के दिन भगवान शंकर व माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन भगवान शिव की कृपा से भक्तों को पापों से मुक्ति मिलने की मान्यता है. यह भी पढ़ें: Mahesh Navami 2022: क्यों मनाते हैं महेश नवमी? जानें इस दिन का महत्व, पूजा विधि, मुहूर्त एवं महेश नवमी की व्रत कथा!
पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान शिव प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को महेश जयंती के नाम से भी जाना जाता है. महेश भगवान शिव का ही एक नाम है. महेश नवमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. ऐसा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की कृपा से भक्तों को हर तरह के पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन लोग अपने प्रियजनों को ग्रीटिंग्स भेजकर शुभकामनाएं देते हैं, आप भी नीचे दिए विशेज WhatsApp Stickers, GIF Images और HD Wallpapers के जरिए भेजकर बधाई दे सकते हैं.
1. महेश नवमी की शुभकामनाएं
2. महेश नवमी की बधाई
3. हैप्पी महेश नवमी
4. महेश नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
5. महेश नवमी की हार्दिक बधाई
6. महेश नवमी 2022
कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की कृपा से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी. इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता के अनुसार, माहेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रिय वंश के थे, इनके वशंज एक बार शिकार करने के लिए जंगल चले गए, जहां उनके शिकार करने के कारण तपस्या में लीन ऋषि मुनि की तपस्या भंग हो गई. इससे नाराज होकर उन्होंने इस वंश की समाप्ति का श्राप दे दिया, तब ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर भगवान शिव की कृपा इस वंश को श्राप से मुक्ति मिली और उन्होंने इस समाज को माहेश्वरी नाम दिया.