Mahavir Jayanti 2021 Messages in Hindi: कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) की दूसरी लहर के बीच आज (24 अप्रैल 2021) महावीर जयंती (Mahavir Jayanti) का उत्सव मनाया जा रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी 13वें दिन स्वामी महावीर का जन्मोत्सव मनाया जाता है. उनका जन्म इसी पावन तिथि पर वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुंडलपुर में हुआ था, जो वर्तमान में बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित है. भले ही इस साल कोरोना संकट (Corona Crisis) को देखते हुए जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती सादगी से मनाई जा रही है, लेकिन उनके जन्मोत्सव को हर साल बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन जैन धर्मावलंबी मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है.
भगवान महावीर को बचपन में वर्धमान के नाम से पुकारा जाता था. उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था. जैन धर्म के लोग महावीर जयंती के पर्व को धूमधाम से मनाते हैं और एक-दूसरे के साथ शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं. आप भी इन शानदार हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ और वॉलपेपर्स को दोस्तों-रिश्तेदारों संग शेयर करके हैप्पी महावीर जयंती कह सकते हैं.
1- छोड़ो सारे वैर-विरोध,
कभी न मन में लाना क्रोध,
बच्चों यह सब बातें समझना,
अच्छाई के मार्ग पर चलना,
महावीर के वचनों का पालन करना.
हैप्पी महावीर जयंती
2- तू करता वो है जो तू चाहता है,
पर होता वही है जो मैं चाहता हूं,
इसलिए तू वो कर जो मैं चाहता हूं,
फिर देख होगा वही जो तू चाहता है.
हैप्पी महावीर जयंती
3- नवकार मंत्र ही है महामंत्र,
इससे होता सबका मन निर्मल सुंदर,
रोज शुद्ध मन से करो इसका जप,
नवकार मंत्र ही है महामंत्र...
हैप्पी महावीर जयंती
4- जंग एक भी लड़ी नहीं, फिर भी जग को जीत लिया,
अहिंसा अपरिग्रह, अनेकांत का हमको मंत्र दिया,
उस जगत के तारक महावीर को कोटि-कोटि वंदन,
उनकी राह पर चल कर आओ हम भी तोड़ें भौतिक बंधन.
हैप्पी महावीर जयंती
5- त्याग ना करे, वो पीर नहीं होता,
बरसों की तपस्या का फल है यह,
वरना ऐसे ही कोई महावीर नहीं होता.
आओ महावीर को करें हम सब नमन.
हैप्पी महावीर जयंती
भगवान महावीर के ज्ञान दर्शन के पांच प्रमुख सिद्धांत बताए जाते हैं, जिन्हें जैन धर्म का आधार स्तंभ माना जाता है. ये ज्ञान दर्शन सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपिरग्रह और ब्रह्मचर्य हैं. कहा जाता है कि एक राज परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने ज्ञान प्राप्ति के लिए सब कुछ त्याग दिया. 30 साल की उम्र में सभी शाही ऐशो-आराम, सुख, ऐश्वर्य और सांसारिक मोहमाया का त्याग करके वे कठोर तपस्या के लिए निकल पड़े और ज्ञान प्राप्ति के बाद वे तीर्थंकर कहलाए.