Maharana Pratap Jayanti 2023: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हिंदू राजपूत राजा महाराणा प्रताप की जयंती हर साल 2 जून को पड़ती है. हालांकि अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक उनका जन्मदिन 9 मई को मनाया जा रहा है. पूरा भारत महाराणा प्रताप को उनके शौर्य और पराक्रम के कारण याद करता है. वह अपने वीरतापूर्ण कार्यों के कारण भी लोकप्रिय हैं. उल्लेखनीय है कि राजस्थान में राजपूत समाज का एक बड़ा वर्ग हिंदू कैलेंडर तिथि के आधार पर महाराणा प्रताप जयंती मनाता है. राजस्थान में कई स्थानों पर लोग जुलूस निकाल कर महाराणा प्रताप की जयंती मनाते हैं. राजपूत संगठनों के सभी सदस्य इस दिन अलवर के शिवाजी पार्क में हिंदू राजपूत राजा महाराणा प्रताप को श्रद्धांजलि देते हैं. यह भी पढ़ें: Maharana Pratap Jayanti 2023: शौर्य के प्रतीक महाराणा प्रताप को क्यों कहा जाता है 'बैटल ऑफ दिवेर' और 'थर्मोपल्ली ऑफ मेवाड़'?
महाराणा प्रताप की जन्म तिथि का सबसे पुराना संदर्भ अबुल फजल की पुस्तक अकबरनामा में मिलता है, जिसमें हिजरी कैलेंडर के अनुसार उनकी जन्म तिथि का उल्लेख है. विक्रम संवत में पहला संदर्भ कवि चरण की 1710 की पुस्तक रावल राणा बात (Rawal Rana Baat) में खोजा जा सकता है. महाराणा प्रताप ने अपने पिता उदय सिंह द्वितीय की मृत्यु के बाद 32 वर्ष की आयु में मेवाड़ के शाही परिवार की गद्दी संभाली. राजस्थान समेत देश विदेश में जहां राजपूत बसते हैं, वे महाराणा प्रताप की जंयती को धूम- धाम से मनाते हैं एक दूसरे को ग्रीटिंग्स भेजते हैं और शुभकामनाएं देते हैं.
1. हे प्रताप मुझे तू शक्ति दे, दुश्मन को मै भी हराऊंगा।
मै हूं तेरा एक अनुयायी, दुश्मन को मार भगाऊंगा॥
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं!
2. जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी.
फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी॥
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं!
3. हर मां कि ये ख्वाहिश है, कि एक प्रताप वो भी पैदा करे.
देख के उसकी शक्ती को, हर दुशमन उससे डरा करे॥
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं!
4. चेतक पर चढ़ जिसने,
भाला से दुश्मन संघारे थे.
मातृ भूमि के खातिर,
जंगल में कई साल गुजारे थे.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं!
5. हल्दीघाटी के युद्ध में,
दुश्मन में कोहराम मचाया था.
देख वीरता राजपूताने की,
दुश्मन भी थर्राया था.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं!
महाराणा प्रताप ने मुगलों के खिलाफ कई लड़ाईयां लड़ीं, लेकिन उन सभी में सबसे कठिन लड़ाई अकबर की सेना के खिलाफ हल्दीघाटी की लड़ाई थी. लड़ाई 18 जून, 1576 को शुरू हुई. अकबर ने महाराणा प्रताप को मुगल आधिपत्य स्वीकार करने के लिए कई प्रस्ताव भेजे लेकिन उन्होंने झुकने से इनकार कर दिया. जबकि अकबर अंततः लड़ाई जीतने में कामयाब रहा, वह महाराणा प्रताप या उनके परिवार को मार या पकड़ नहीं सका.