Maharana Pratap Jayanti 2021 Messages in Hindi: भारत के वीर सपूतों की बात की जाए तो उनमें महाराणा प्रताप का नाम जरूर आता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) का जन्म सोलहवीं शताब्दी में 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार, महाराणा प्रताप का जन्म 1540 ईस्वी में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था, इसलिए इस साल महाराणा प्रताप की 481वीं जयंती (Maharana Pratap Jayanti) 13 जून 2021 (रविवार) को मनाई जा रही है. मुगल बादशाह अकबर (Akbar) को महाराण प्रताप ने युद्धभूमि में कई बार टक्कर दी थी, उन्हें अपने परिवार के साथ जंगलों में विकट परिस्थितियों का सामना तक करना पड़ा, बावजूद इसके उन्होंने कभी हार स्वीकार नहीं की और न ही कभी अकबर के सामने अपना सिर झुकाया.
महाराणा प्रताप की 481वीं जयंती के इस खास अवसर पर राजस्थान के इस वीर सपूत की वीरगाथा और शौर्यगाथा को याद करने के अलावा आप अपनों के साथ शुभकामना संदेशों को भी शेयर कर सकते हैं. इस खास अवसर पर आप इन शानदार हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टेटस, फेसबुक विशेज, ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस को अपने दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ शेयर करके महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- प्रताप के शौर्य की गाथा,
हर कोई सुनाएगा गाकर,
मातृभूमि भी धन्य हो गई,
प्रताप जैसा पुत्र पाकर.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
2- करता हूं नमन मैं महाराणा प्रताप को,
जो वीरता और अखंडता के प्रतीक हैं.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
3- चेतक पर चढ़ जिसने,
भाले से दुश्मन संघारे थे,
मातृभूमि की खातिर जिसने,
जंगल में कई साल गुजारे थे.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
4- है ख्वाहिश हर हिंदुस्तानी की,
आप जैसा वीर बनने की,
चलना है अब तो उसी मार्ग पर,
जो मार्ग दिखाया है प्रताप ने.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
5- जब-जब तेरी तलवार उठी,
तब-तब दुश्मन टोली डोल गई,
फीकी पड़ी दहाड़ शेर की,
जब-जब तूने हुंकार भरी.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच हल्दीघाटी की लड़ाई 1576 में लड़ी गई थी. इस युद्ध में महाराणा प्रताप के पास सिर्फ 20 हजार सैनिक थे, जबकि अकबर के पास 85 हजार सैनिकों की विशाल सेना थी. भले ही अकबर के पास बड़ी सेना थी, लेकिन महाराणा प्रताप के पास शौर्य और वीरता की कमी नहीं थी. इसके साथ ही उनके पास कम ही सही लेकिन वीर योद्धा थे, जिन्होंने पूरी वीरता के साथ अकबर के साथ लोहा लिया. इस लड़ाई को न तो अकबर जीत सका और न ही महाराणा प्रताप पराजित हुए.