Maharana Pratap Jayanti 2019: मेवाड़ के 13वें राजपूत राजा महाराणा प्रताप की 479वीं जयंती, जानिए उनसे जुड़ी 10 रोचक बातें

इतिहास के पन्नों में अपनी वीरता और दृढ़ प्रण के लिए अमर कहलाने वाले महाराणा प्रताप मेवाड़ के 13वें राजपूत राजा थे, जिनका जन्म मेवाड़के शाही राजपूत घराने में 9 मई 1540 को हुआ था. उनका जन्म राजस्थान के कुंभलगढ़ में महाराणा उदयसिंह एवं माता जयवंत के घर हुआ था.

महाराणा प्रताप जयंती 2019 (Photo Credit: Wikimedia Commons)

 Maharana Pratap Birth Anniversary 2019: अपनी वीरता, बहादुरी और हल्दीघाटी की लड़ाई (Battle of Haldighati) के लिए प्रसिद्ध महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की आज यानी 9 मई को 479वीं जयंती मनाई जा रही है. इतिहास के पन्नों में अपनी वीरता और दृढ़ प्रण के लिए अमर कहलाने वाले महाराणा प्रताप मेवाड़ के 13वें राजपूत (King of Mewar) राजा थे, जिनका जन्म मेवाड़ के शाही राजपूत घराने में 9 मई 1540 को हुआ था. उनका जन्म राजस्थान के कुंभलगढ़ में महाराणा उदयसिंह एवं माता जयवंत के घर हुआ था. महाराणा प्रताप एक ऐसे वीर योद्धा थे जिन्होंने सीमित संसाधनों के बल पर ही मुगलों को नाकों चने चबाने के लिए मजबूर कर दिया.

चलिए महाराणा प्रताप जयंती (Maharana Pratap Jayanti 2019) के खास मौके पर जानते हैं राजपूतों के इस वीर राजा के बारे में 10 रोचक बातें (10 Interesting Facts about Maharana Pratap).

महाराणा प्रताप से जुड़ी 10 रोचक बातें-

1- महाराणा प्रताप को बचपन में प्यार से 'कीका' कहकर बुलाया जाता था. उनके सबसे प्रिय घोड़े का नाम चेतक था. महाराणा प्रताप की तरह ही उनका घोड़ा भी काफी बहादुर और चालाक था.

2- मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून 1576 को हल्दीघाटी का युद्ध हुआ था. अकबर और महाराणा प्रताप के बीच छिड़ा यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह ही विनाशकारी साबित हुआ था.

3- इतिहास के जानकारों का मानना है कि हल्दीघाटी की लड़ाई में न तो अकबर महाराणा प्रताप से जीत पाया था और न ही महाराणा प्रताप अकबर से हारे थे. एक ओर जहां मुगलों के पास सेना की शक्ति अधिक थी तो वहीं राणा प्रताप के पास उनका सामना करने की इच्छा शक्ति थी.

4- हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर के पास 80,000 से भी ज्यादा सैनिक थे, जबकि महाराणा प्रताप सिर्फ 20,000 सैनिकों की फौज लेकर अकबर की सेना का सामना कर रहे थे. सैनिकों की कम संख्या होने के बावजूद उन्होंने अकबर की विशाल सेना से हार नहीं मानी और लड़ते रहे.

5- कहा जाता है कि अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिए 6 शांति दूतों को उनके पास भेजा था, ताकि युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म किया जा सके, लेकिन महाराणा प्रताप ने अकबर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

6- हल्दीघाटी की लड़ाई में महाराणा प्रताप के सबसे खास और वफादार घोड़े चेतक ने भी डंटकर दुश्मनों का सामना किया, लेकिन युद्ध के दौरान चेतक गंभीर रूप से घायल हो गया और उसकी मौत हो गई.

7- बताया जाता है जब युद्ध के दौरान मुगल सेना उनके पीछे पड़ी थी तो महाराणा प्रताप के वफादार चेतक ने ही उन्हें अपनी पीठ पर बिठाकर कई फीट लंबे नाले को पार किया था. चित्तौड़ की हल्दीघाटी में चेतक की समाधि आज भी मौजूद है. यह भी पढ़ें: महाराणा प्रताप: एक ऐसा योद्धा जो अकबर के आगे कभी नहीं झुका

8- महाराणा प्रताप ने 6 बार अकबर को बादशाह मानकर मेवाड़ में राज चलाने की पेशकश ठुकरा दी थी, क्योंकि उन्हें विदेशी का राज अपने राज्य में कतई स्वीकार नहीं था. उन्होंने आखिरी सांस तक मेवाड़ की रक्षा की.

9- महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो था और वे अपने सीने पर 72 किलो का कवच पहनकर चलते थे. उनके भाले, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था.

10- महाराणा प्रताप ने कुल 11 शादियां की थीं, कहा जाता है कि ये सभी शादियां उन्होंने राजनैतिक कारणों से की थी. उनके कुल 17 बेटे और 5 बेटियां थीं. हालांकि महारानी अजाब्दे से पैदा हुए पुत्र अमर सिंह को उनका उत्तराधिकारी बनाया गया था.

गौरतलब है कि मेवाड़ की रक्षा करने वाले महाराणा प्रताप की 19 जनवरी 1597 में मृत्यु हो गई. उनकी मौत पर अकबर भी बहुत दुखी हुआ था, क्योंकि अकबर दिल से महाराणा प्रताप के गुणों का प्रशंसक था और अकबर इस बात को बखुबी जानता था कि महाराणा जैसा वीर इस धरती पर और कोई नहीं है. महाराणा प्रताप की मौत की खबर सुनते ही अकबर मौन हो गया था और उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े थे.

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