मुंबई से एक बड़ी दिलचस्प ख़बर सामने आई है, जहां जैन समुदाय ने अपनी बात रखने के लिए इतिहास का एक ऐसा पन्ना खोला, जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया. बॉम्बे हाई कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान जैन समुदाय ने कहा कि मुग़ल सम्राट अकबर को पर्युषण पर्व के दौरान कसाईखाने बंद करने के लिए मनाना ज़्यादा आसान था, लेकिन आज की महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी (मुंबई नगर निगम) को मनाना बहुत मुश्किल हो रहा है
जैन धर्म में पर्युषण पर्व का बहुत बड़ा महत्व है. यह उनके सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है, जिसमें वे उपवास, प्रार्थना और क्षमा पर ज़ोर देते हैं. जैन धर्म का मूल सिद्धांत 'अहिंसा' है, यानी किसी भी जीव को कोई कष्ट न पहुंचाना. इसी भावना का सम्मान करते हुए, जैन समुदाय ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि पर्युषण पर्व के दौरान कुछ दिनों के लिए शहर के कसाईखानों (Slaughter Houses) को बंद रखा जाए, लेकिन जब उनकी बात नहीं सुनी गई, तो मामला बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंच गया.
#JustIn: Jain Community tells Bombay High Court that it was easier to convince Mughal Emperor Akbar to close down slaughter houses during Paryushan Parva but it is very difficult to convince the Maharashtra Government and the Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC). @mybmc… pic.twitter.com/PWfIPYNzBZ
— Live Law (@LiveLawIndia) August 20, 2025
कोर्ट इस पर क्या फ़ैसला देगा, यह तो आने वाला वक़्त बताएगा, लेकिन जैन समाज की इस दलील ने अकबर के दौर और आज के दौर की तुलना करके एक नई बहस ज़रूर छेड़ दी है.












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