Mahaparinirvan Diwas 2020 Hindi Messages: भारतीय संविधान के निर्माता (Father of Indian Constitution), महान समाज सुधारक और विद्वान डॉ. भीमराव आंबेडकर जी (Dr. Bhimrao Ambedkar) की पुण्यतिथि हर साल 6 दिसंबर को मनाई जाती है. उन्होंने 6 दिसंबर 1956 को अंतिम सांस ली थी और उनकी पुण्यतिथि (Dr. Babasaheb Ambedkar Death Anniversary) को महापरिनिर्वाण दिवस (Mahaparinirvan Diwas) के तौर पर मनाया जाता है. बाबासाहेब के नाम से लोकप्रिय डॉ. आंबेडकर ने अपना पूरा जीवन गरीबों, दलितों और समाज के पिछड़े लोगों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया. उन्होंने छुआ-छूत, जातिवाद और भेदभाव के खात्मे के लिए कई आंदोलन भी किए. वो अपने समय के एक ऐसे राजनेता थे, जो सामाजिक कार्यों में काफी व्यस्त रहते थे, लेकिन पढ़ने लिखने के लिए वो समय निकाल ही लेते थे.
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के छोटे से गांव महू में हुआ था. उनका जन्म महार जाति में हुआ था, इसलिए उन्हें लोग अछूत और निचली जाति का मानते थे. अछूत होने के कारण उन्हें अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. इस साल डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की 64वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है, जिसे महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, शायरी, जीआईएफ इमेजेस, वॉलपेपर्स के जरिए डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
1- कुरान कहता है मुसलमान बनो,
बाइबल कहता है ईसाई बनो,
भगवत गीता कहती है हिंदू बनो,
लेकिन मेरे बाबासाहेब का,
संविधान कहता है इंसान बनो.
महापरिनिर्वाण दिवस
2- 6 दिसंबर महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर,
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को विनम्र श्रद्धांजलि!
महापरिनिर्वाण दिवस
3- नींद अपनी खोकर जगाया हमको,
आंसू अपने गिराकर हंसाया हमको,
कभी मत भूलना उस महान इंसान को,
जमाना कहता है आंबेडकर जिनको.
महापरिनिर्वाण दिवस
4- भारतीय संविधान के रचयिता,
भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को,
महापरिनिर्वाण दिवस पर कोटी-कोटी प्रणाम!
महापरिनिर्वाण दिवस
5- कर गुजर गए जो वो भीम थे,
दुनिया को जगाने वाले भीम थे,
हमने तो सिर्फ इतिहास पढ़ा है यारो,
इतिहास को बनाने वाले मेरे भीम थे.
महापरिनिर्वाण दिवस
गौरतलब है कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था. वे अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे. बाबासाहेब आंबेडकर बचपन से ही बेहद प्रतिभाशाली थे, बावजूद इसके छोटी जाति का होने के कारण उन्हें अनके कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. उनके पिता ने स्कूल में उनका सरनेम सकपाल के बजाय अंबडवेकर लिखवाया था. कहा जाता है कि एक ब्राह्मण शिक्षक कृष्णा महादेव आंबेडकर को बाबासाहेब से विशेष लगाव था, इस लगाव के चलते उन्होंने ही उनके नाम से अंबडवेकर हटाकर अपना सरनेम उनके साथ जोड़ दिया, इस तरह से डॉ. बाबासाहेब का सरनेम आंबेडकर हो गया.