Mahaparinirvan Diwas 2019: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के 10 अनमोल विचार, जिन्हें अपने जीवन में उतारकर आप भी बन सकते हैं एक बेहतर इंसान
संविधान के रचयिता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर अपने जमाने के एक ऐसे राजनेता थे, जो सामाजिक कार्यों में बहुत ज्यादा व्यस्त रहते थे, लेकिन उन्हें पढ़ने-लिखने में इतनी ज्यादा रुचि थी कि वो इसके लिए समय निकाल ही लेते थे. भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जितने महान राजनेता थे, उतने ही महान उनके विचार भी थे.
Mahaparinirvan Diwas 2019: देश भर में आज यानी 6 दिसंबर 2019 को भारतीय संविधान के रचयिता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) की 63वीं पुण्यतिथि(63rd Death Anniversary) मनाई जा रही है. उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस (Mahaparinirvan Diwas) के रूप में मनाया जाता है. समाज में फैली छुआ-छूत, जातिवाद और भेदभाव जैसी कुरितियों के खिलाफ लड़ने वाले महान राजनेता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने 6 दिसंबर 1956 को अंतिम सांस ली थी. वे अपने जमाने के एक ऐसे राजनेता थे, जो सामाजिक कार्यों में बहुत ज्यादा व्यस्त रहते थे, लेकिन उन्हें पढ़ने-लिखने में इतनी ज्यादा रुचि थी कि वो इसके लिए समय निकाल ही लेते थे. भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जितने महान राजनेता थे, उतने ही महान उनके विचार भी थे.
उनके विचार सिर्फ बातें नहीं हैं, बल्कि उनमें जीवन जीने की कला छुपी हुई है. महापरिनिर्वाण दिवस पर जानते हैं डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के 10 अनमोल विचार (DR. Ambedkar's Quotes) जिन्हें जीवन में उतारकर और उनका अनुसरण कर कोई भी व्यक्ति एक बेहतर इंसान बन सकता है.
1- मैं उसी धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाए.
2- अगर मुझे लगेगा कि संविधान का दुरुपयोग हो रहा है तो सबसे पहले मैं इस संविधान को ही जलाऊंगा.
3- भाग्य पर आश्रित रहने के बजाय अपनी मेहनत और कर्म पर विश्वास रखना चाहिए.
4- मानव के बुद्धि का विकास उसके अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए.
5- शिक्षित बनें, संघटित रहें और संघर्ष करें.
6- जब तक आप सामाजिक रूप से स्वतंत्र नहीं हैं, कानून जो भी आपको स्वतंत्रता देता है वह आपके लिए बेमानी है.
7- खुद को दलित इसलिए मानते हो, क्योंकि दूसरों को ऊंचा मानते हो.
8- संविधान मात्र वकीलों का दस्तावेज नहीं, बल्कि हमारे जीवन का माध्यम है.
9- जीवन लंबा होने की बजाय महान होना चाहिए और ज्ञान उसका आधार होना चाहिए.
10- शिक्षा का अधिकार जितना पुरुषों का है उतना ही अधिकार महिलाओं का भी है.
डॉ. आंबेडकर भारतीय संविधान के रचयिता कहे जाते हैं. ये उनकी दूरदर्शिता ही थी कि उन्होंने देश के लिए एक ऐसा संविधान तैयार किया जो सभी जाति और धर्म के लोगों की रक्षा करे व उन्हें समानता का अधिकार दे. उनका मानना था कि एक सफल व्यक्ति के लिए दूरदर्शी होना बेहद जरूरी है. आपको यह पता होना चाहिए कि आप भविष्य में क्या और कैसे करने वाले हैं तथा उसका आपके जीवन पर कैसा असर होने वाला है. अपनी दूरदर्शिता के कारण ही वे अपने द्वारा लिए गए फैसले और उससे होने वाले प्रभाव के बारे में बारे में पहले से ही अवगत होते थे.