Lailatul Jaiza 2020: ईद-उल-फितर से पूर्व 'लैलातुल जाइजा' यानी इनाम की रात, अल्लाह हर दुआ करते हैं कबूल, ऐसे करें इबादत
Eid Moon (File Photo)

Lailatul Jaiza 2020: रमजान का पवित्र मास पूरा होने को है. देश के वि मेंभिन्न हिस्सों में अमावस्या को चांद देखने के बाद ईद मनाई जाएगी. रमज़ान के अंतिम 10 दिन और 10 रातों का विशेष महत्व है. इसकी अंतिम रात को "लैलात अल-क़द्र" कहते हैं. रमजान की विशेष रातों में एक है ‘लैलातुल जाइजा' की रात, जो हर मुसलमान के लिए विशेष रात मानी जाती है, इसका अर्थ है अल्लाह द्वारा प्रदत्त 'ईनाम की रात'. 'लैलातुल जाइजा' ईद से पहले की रात होती है.

क्या है लैलातुल जाइजा?

‘लैलातुल जाइजा' का अंग्रेजी अनुवाद है 'रिवार्ड ऑफ़ नाइट्स'. यह ‘लैलात-उल-क़द्र’ के विपरीत होता है, जो रमज़ान की आखिरी दस रातों में से एक होती है.‘लैलातुल जाइजा' के बारे में, अल्लाह के रसूल ने कहा है, कि जो रात की प्रार्थना में शामिल होता है, वही अल्लाह से पुरस्कारों की उम्मीद करता है.

‘लैलातुल जाइजा' का महत्व

‘लैलातुल जाइजा' उन पांच रातों में एक रात है, जिस रात अल्लाह सभी की दुआओं को स्वीकार करता है. अन्य रातें हैं: जुमे (शुक्रवार) की रात, रजब की पहली रात (इस्लामिक कैलेंडर का 7वां महीना) और शाबान की 15वीं रात (इस्लामी कैलेंडर का आठवां महीना)

लैलातुल जाइजा के लिए प्रार्थना!

हालांकि इस रात मुसलमानों कि ईद की तैयारियों में व्यस्त होना स्वाभाविक है, लेकिन जीवन भर के पापों के लिए अल्लाह से माफी मांगने वाले किसी भी तरह की प्रार्थना को बहुत सम्मानजनक माना जाता है.