Kumbh Mela 2019: माघी पूर्णिमा पर संगम में स्नान के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, लगा रहें हैं आस्था की डुबकी

19 फरवरी मंगलवार को आज माघी पूर्णिमा (Maghi Purnima) है. ‘माघी पूर्णिमा’ माघ मास के अंतिम दिन यानि पूर्णिमा को मनाई जाती है. हिंदू धर्म में माघी पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है. इसलिए इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करके पूजा पाठ और दान करते हैं. इस दिन स्नान के लिए भारी भीड़ जुटती है.

कुंभ स्नान 2019 (Photo Credits: PTI)

19 फरवरी मंगलवार को आज माघी पूर्णिमा (Maghi Purnima) है. ‘माघी पूर्णिमा’ माघ मास के अंतिम दिन यानि पूर्णिमा को मनाई जाती है. हिंदू धर्म में माघी पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है. इसलिए इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करके पूजा पाठ और दान करते हैं. इस दिन स्नान के लिए भारी भीड़ जुटती है. माघ महीने के शुरू होते ही प्रयागराज में संगम तीरे कल्पवासी एक महीने का कल्पवास शुरू करते हैं. माघी पूर्णिमा वह दिन है जब कल्पवासियों और तीर्थयात्रियों का एक माह का कल्पवास पूर्ण हो जाता है. पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक 27 नक्षत्रों में माघा नक्षत्र से ‘माघी पूर्णिमा’ का योग बनता है. चंद्रमा जब अपनी ही राशि कर्क में होता है एवं सूर्य (पुत्र) शनि की राशि मकर में होता है, तब माघी पूर्णिमा का योग होता है.

इस योग में सूर्य और चन्द्रमा एक दूसरे के आमने-सामने होते हैं, इसे ‘पुण्य योग’ भी कहते हैं. मान्यता है कि इस योग में स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा से मिलने वाले कष्ट नष्ट हो जाते हैं. इस बार माघ पूर्णिमा पर अर्ध्य कुम्भ का संयोग भी बना है. माघ पूर्णिमा के दिन आज कुंभ में स्नान किया जा रहा है. मघा नक्षत्र में माघ पूर्णिमा आई है. मान्यता है कि इस दौरान गंगा स्नान करने से इसी जन्म में मुक्ति की प्राप्ति होती है. स्नान के जल में गंगा जल डालकर स्नान करना भी फलदायी होता है. ऐसी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर स्नान करने वाले लोगों पर श्री कृष्ण की विशेष कृपा होती है. साथ ही भगवान कृष्ण प्रसन्न होकर व्यक्ति को धन-धान्य, सुख-समृद्धि और संतान के साथ मुक्ति का आर्शिवाद प्रदान करते हैं. यह भी पढ़ें- Shivaji Maharaj Jayanti 2019: छत्रपति शिवाजी महाराज के ‘गुरिल्ला युद्ध’ से खौफ खाती थी मुगल सेना, जानें इस महान शासक से जुड़ी कुछ अनोखी बातें

कहते हैं कि इस योग में स्वयं भगवान विष्णु गंगाजल में वास करते हैं तथा सभी देवता मानव रूप धारणकर स्वर्गलोक से पृथ्वी के इस पवित्र तीर्थस्थल प्रयागराज में स्नान, जप और दान करते हैं. इसीलिए ‘माघी पूर्णिमा’ में त्रिवेणी में स्नान के बाद जप और दान करने की परंपरा है. मान्यता है कि इससे जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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