Jhulelal Jayanti 2023 Images: झूलेलाल जयंती की इन Photo SMS, GIF Greetings, Wallpapers, WhatsApp Stickers के जरिए दें बधाई
भगवान झूलेलाल का जन्म सद्भावन और भाईचारा बढ़ाने के लिए हुआ था. पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत के विभिन्न स्थानों पर आकर बसे सिंधी हिंदुओं में उनकी पूजा का प्रचलन अधिक देखने को मिलता है. ऐसे में झूलेलाल जयंती के इस पावन अवसर पर आप इन इमेजेस, फोटो एसएमएस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉलपेपर्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स के जरिए बधाई दे सकते हैं.
Jhulelal Jayanti 2023 Images: भगवान झूलेलाल (Bhagwan Jhulelal) को सिंधी हिंदुओं का उपास्य देव माना जाता है, जिन्हें ईष्ट देव कहा जाता है. सिंधी समुदाय (Sindhi Community) के लोग झूलेलाल जयंती को बहुत धूमधाम से मनाते हैं, जिसे चेटी चंड (Cheti Chand) और सिंधी नव वर्ष (Sindhi New Year) के तौर पर भी जाना जाता है. आज (23 मार्च 2023) देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले हिंदू सिंधी समुदाय के लोग झूलेलाल जयंती मना रहे हैं, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार इस पर्व को हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को मनाया जाता है. कहा जाता है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत के ठट्टा नगर में मिरखशाह नाम के मुगल सम्राट के जुल्मों से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए संवत 1007 में वरुण देव के अवतार भगवान झूलेलाल ने जन्म लिया था. उन्होंने एक विशाल सेना का गठन करके न सिर्फ मिरखशाह को हराया था, बल्कि उसके आतंक से लोगों को मुक्ति भी दिलाई थी.
सिंधी समुदाय की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, भगवान झूलेलाल का जन्म सद्भावन और भाईचारा बढ़ाने के लिए हुआ था. पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत के विभिन्न स्थानों पर आकर बसे सिंधी हिंदुओं में उनकी पूजा का प्रचलन अधिक देखने को मिलता है. ऐसे में झूलेलाल जयंती के इस पावन अवसर पर आप इन इमेजेस, फोटो एसएमएस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉलपेपर्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स के जरिए बधाई दे सकते हैं.
1- चेटी चंड की हार्दिक बधाई
2- झूलेलाल जयंती की शुभकामनाएं
3- हैप्पी झूलेलाल जयंती
4- सिंधी नव वर्ष की शुभकामनाएं
5- हैप्पी सिंधी न्यू ईयर
सिंधी समाज के लोग भगवान झूलेलाल की उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिंदपीर, लालसाईं, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल जैसे विभिन्न नामों से पूजा करते हैं. भगवान झूलेलाल को जल और ज्योति का अवतार माना जाता है. ऐसे में चेटी चंड के दिन लोग लकड़ी का मंदिर बनाकर उसमें लोटे जल रखकर, ज्योति प्रज्जवलित करते हैं, फिर मंदिर को श्रद्धालु अपने सिर पर उठाकर भव्य यात्रा निकालते हैं, जिसे बहिराणा साहब भी कहा जाता है.