Jara Jivantika Puja 2019: बच्चों की सलामती के लिए महिलाएं करती हैं देवी जरा जीवंतिका की पूजा, सावन महीने के हर शुक्रवार रखती हैं व्रत
जरा जीवंतिका पूजा 2019 (Photo Credits: File Image)

Jara Jivantika Puja 2019 TimeTable and Importance: महाराष्ट्र (Maharashtra) में आज यानी 2 अगस्त 2019 से सावन महीने (Sawan Maas) की शुरुआत हो गई है. अगस्त का पूरा महीना (August Month) महाराष्ट्र और गुजरात में रहने वाले हिंदुओं के लिए बेहद खास माना जा रहा है. दरअसल, सावन महीने में हर श्रावणी शुक्रवार (अगस्त महीने के शुक्रवार) (Shravani Shukrawar) को महाराष्ट्र और गुजरात में जरा जीवंतिका पूजा (Jara Jivantika Puja) बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ की जाती है.

यह एक ऐसा पर्व है जो देवी जरा जीवंतिका को समर्पित हैं. महिलाएं सावन महीने के हर शुक्रवार को अपने बच्चों की सलामती और लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और विधि-विधान से देवी जीवंतिका की पूजा करती हैं. जानते हैं अगस्त महीने में पड़नेवाली श्रावणी शुक्रवार की तिथियां और इस व्रत का महत्व.

श्रावणी शुक्रवार की तिथियां

मान्यता है कि इस देवी के व्रत और पूजन से निसंतान दंपत्तियों को भी संतान का सुख प्राप्त होता है. अगस्त के महीने में जरा जीवंतिका पूजा (श्रावणी शुक्रवार) की तिथियां 2 अगस्त, 16 अगस्त, 23 अगस्त और 30 अगस्त को पड़ रही हैं. यह भी पढ़ें: August 2019 Calendar: अगस्त महीने में पड़ रहे हैं कई बड़े व्रत और त्योहार, देखें छुट्टियों की पूरी लिस्ट

जीवंतिका पूजा का महत्व

स्कंद पुराण में देवी जीवंतिका और जरा जीवंतिका व्रत का महत्व बताया गया है. इस व्रत से जुड़ी मान्यता के अनुसार, एक समय ऐसा था जब पांच साल की उम्र तक पहुंचने से पहले ही कई बच्चों की मौत हो जाती थी, जिसके बाद से इस व्रत को करने की परंपरा शुरु हुई. कहा जाता है कि अपने छोटे बच्चों की सलामती और उनकी लंबी उम्र के लिए महिलाएं देवी जीवंतिका की पूजा करने लगीं. इस व्रत के दौरान महिलाएं सिर्फ फलों और पानी का सेवन कर सकती हैं.

कैसे करती हैं पूजा?

अपने बच्चों की सेहत और लंबी उम्र के लिए महिलाएं इस व्रत को करती हैं. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं लाल रंग का कपड़ा पहनती हैं. सुबह स्नान करने के बाद विधि-विधान से देवी जीवंतिका की पूजा की जाती है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत करती हैं. देवी जीवंतिका की पूजा करने के बाद देवी मां से अपने बच्चों की रक्षा करने के लिए प्रार्थना करती हैं और फिर अपने बच्चों के सिर पर चावल छिड़कती हैं.