International Women's Day 2020: ये हैं हमारे देश की वो आम महिलाएं जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी मेहनत और लगन से पेश की नारी शक्ति की अनोखी मिसाल
महिला सशक्तिकरण, उनके त्याग, बलिदान और विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. महिला दिवस के इस खास अवसर पर चलिए मिलते हैं भारत की उन आम महिलाओं से जिन्होंने असंभव को संभव कर दिखाया और नारी शक्ति की अनोखी मिसाल कायम की है.
Happy International Women's Day 2020: वो भी एक दौरा था जब हमारे पुरुष प्रधान समाज (Men Dominated Society) में महिलाओं (Women) के दायरे को घर की चार दीवारी तक ही सीमित रखा गया था, लेकिन आज के इस दौर में महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. अपनी काबिलियत और मेहनत के दम पर महिलाओं ने असंभव को भी संभव कर दिखाया है. ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां महिलाओं ने कामयाबी की नई कहानी लिखी है और नारी शक्ति की अनोखी मिसाल पेश की है. महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment), उनके त्याग, बलिदान और विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) मनाया जाता है. महिला दिवस के इस खास अवसर पर चलिए मिलते हैं भारत की उन आम महिलाओं से जिन्होंने असंभव को संभव कर दिखाया और नारी शक्ति की अनोखी मिसाल कायम की है.
केरल की अंजू रानी जॉय (Anju Rani Joy) ने शारीरिक रूप से विकलांग होते हुए भी अपने आप को कभी व्हीलचेयर की सीमा में बांधकर नहीं रखा. उन्होंने असंभव को संभव बनाया और जार लिफ्टिंग में वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया. अंजू कहती हैं कि उन्हें दुख होता था कि वो औरों से अलग हैं, लेकिन फिर उन्होंने भविष्य के बारे में सोचा और चीजें बदलने लगी. आखिरकार उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि कुछ भी असंभव नहीं है. यह भी पढ़ें: International Women's Day 2020: महिला दिवस पर राष्ट्रपति देंगे नारी शक्ति पुरस्कार, एथलेटिक्स के लिए मन कौर और शिल्प कला के लिए अरफा जान को सम्मान
जार लिफ्टिंग में बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
ऑटो रिक्शा आमतौर पर परुष ही चलाते हैं, लेकिन अब महिलाएं भी इस क्षेत्र में पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लगी हैं. पटना एयरपोर्ट पर ऑटोरिक्शा चलाने वाली संगीता कुमारी (Sangeeta Kumari) और सुष्मिता कुमारी (Sushmita Kumari) का कहना है कि किसी भी समस्या को हल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. हमें गर्व महसूस होता है कि हम अपने लिए जीविका कमाते हैं. हम पीएम मोदी से महिलाओं को स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने का आग्रह करते हैं.
ऑटो रिक्शा चलाकर कमाती हैं आजीविका
ट्रक पंचर ठीक करने का काम करने वाली मध्य प्रदेश स्थित मंदसौर की 45 वर्षीय मैना सोलंकी ने साबित किया है कि महिलाएं पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं है. मैना सोलंकी पति की मौत के बाद परिवार का पेट भरने के लिए ट्रक के पंचर ठीक करने का काम करती हैं. उनका कहना है कि अगर वो यह सोचकर बैठी रहेंगी कि वो एक महिला हैं तो रोटी कहां से आएगी और अपने बच्चों को कैसे पालेंगी. मैना सोलंकी कहती हैं कि उन्हें ये काम करते हुए 20-25 साल हो गए हैं. दिन-रात मेहनत की और यह नहीं सोचा कि मैं लड़की हूं या लड़का हूं. यह भी पढ़ें: Women's Day 2020: महिला दिवस पर पीएम मोदी ने दी बधाई, कहा- नारी शक्ति को सैल्यूट
ट्रक के पंचर बनाकर चलाती है परिवार
उत्तर प्रदेश के कानपुर की दो महिलाएं मनु और बरखा गरीब और जरूरतमंत बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करती हैं. इनका कहना है कि उन्हें प्रधानमंत्री से प्ररेणा मिली है कि हम लोगों को गरीब बच्चों के लिए यह काम करना चाहिए. जब पीएम मोदी कर सकते हैं तो हम लोग भी इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं.
गरीब बच्चों को प्रदान करती हैं मुफ्त शिक्षा
मिलिए कोलकाता के स्लम में रहने वाली गोल्डन गर्ल आयशा नूर से, जो बस्ती की लड़कियों को मुफ्त में कराटे सिखाती हैं. आयशा नूर का कहना है कि 5 साल की उम्र से ही वो कराटे सीख रही हैं. 2012 में जब दिल्ली गैंगरेप हादसा हुआ था, उसके बाद 2013 से आयशा ने लड़कियों को मुफ्त में कराटे सिखाना शुरू किया.
मुफ्त में कराटे सिखाने वाली गोल्डन गर्ल
आज महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में नारी शक्ति का परिचय दे रही हैं. इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कैब चलाने वाली आरती का कहना है कि ज्यादातर लोगों को लगता है कि ड्राइविंग सिर्फ लड़के ही कर सकते हैं, लड़कियां नहीं. बावजूद इसके मेरे घरवालों ने मुझे सपोर्ट किया और मैं कैब ड्राइवर के तौर पर काम कर रही हूं. यह भी पढ़ें: Women's Day 2020: महिला दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और गृह मंत्री अमित शाह समेत इन नेताओं ने दी शुभकामनाएं
कैब ड्राइवर बनकर दिया नारी शक्ति का परिचय
आमतौर पर पुरुष ही बस चलाते हैं, लेकिन हरियाण के करनाल की अर्चना ने साबित कर दिया है कि बस चलाना महिलाओं के लिए भी असंभव नहीं है. बस ड्राइवर अर्चना कहती हैं को वो पिछले 5 साल से बस चला रही हैं. उनका कहना है कि समाज महिलाओं को इस पेशे में स्वीकार नहीं करता है. मैं खुश हूं कि लोग अब मेरे पेशे को समझ रहे हैं. अर्चना का कहना है कि पीएम मोदी की #SheInspiresUs पहल बहुत अच्छी है. इससे महिलाओं को अपने जीवन में कुछ हासिल करने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा मिलगी.
बस ड्राइवर अर्चना ने बदली लोगों की सोच
बहरहाल, देश की ये महिलाएं भले ही आम हैं, लेकिन इन्होंने उन कार्यों को असंभव से संभव कर दिखाया है जिन्हें पुरुषों का कार्य माना जाता रहा है. बस-कैब और रिक्शा चलाने से लेकर मुफ्त में बच्चों को पढ़ाना, कराटे सिखाना और ट्रक के पंचर बनाने जैसे कामों को करने वाली इन महिलाओं ने यह साबित कर दिखाया है कि नारी शक्ति के आगे कोई भी काम नामुमकिन नहीं है. पीएम मोदी ने भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ट्वीट कर नारी शक्ति की भावना और उपलब्धियों को सैल्यूट किया है.