होली 2019: इन व्रतों को रखने से जीवन में आएगी सुख-शांति, सारी मनोकामनाएं हो जाएंगी पूरी

फाल्गुन पूर्णिमा को रात्रि 8.59 बजते ही भद्रा नक्षत्र खत्म हुआ और पूरे देश में होलिका-दहन का पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस बार होलिका-दहन बुधवार को भद्रा खत्म होने के बाद शुभ मुहूर्त में होगा.

व्रत (File Photo)

Holi 2019: फाल्गुन पूर्णिमा को रात्रि 8.59 बजते ही भद्रा नक्षत्र खत्म हुआ और पूरे देश में होलिका-दहन का पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस बार होलिका-दहन बुधवार को भद्रा खत्म होने के बाद शुभ मुहूर्त में होगा. होली पर पितरों की पूजा करने से जहां सारे दोष दूर होते हैं, वहीं होलिका की पूजा करने से महालक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं. इस बार होली बृहस्पतिवार को है जो भगवान विष्णु का प्रिय दिन है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है. मान्यता है कि होलिका-दहन के बाद सच्चे मन से किये गये सारे व्रत न केवल फलीभूत होते हैं, बल्कि भगवान विष्णु भक्तों की सारी मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं.

फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत (21 मार्च)

फाल्गुन जहां हिंदू नववर्ष का अंतिम महीना होता है, वहीं हिंदू कैलेंडर के अनुसार वर्ष का भी अंतिम दिन होता है. फाल्गुनी पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व तो है ही, साथ ही सामाजिक एवं सांस्कृतिक नजरिये से भी इसका बहुत महत्व है. सबसे खास बात यह है कि इस दिन होली जैसा पर्व होता है. इस दिन व्रत रखने वाले को सूर्योदय से चंद्रोदय यानि चंद्रमा दिखाई देने तक उपवास रखना चाहिए. प्रत्येक मास की पूर्णिमा में उपवास व पूजा की भिन्न भिन्न विधियां हैं. फाल्गुनी पूर्णिमा पर कामवासना का दाह किया जाता है ताकि निष्काम प्रेम भाव से प्रेम का रंगीला पर्व होली मनाया जा सके. मान्यता है कि फाल्गुनी पूर्णिमा पर व्रत रखने वाले के सारे कष्ट खत्म हो जाते हैं. इस दिन ब्राह्मणों अथवा गरीबों को दान देने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है.

चैत्रमासारंभ (22 मार्च)

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास वर्ष का बहुत शुभ माह माना जाता है. इसी दिन से हिंदू नववर्ष अथवा संवत्सर की शुरुआत होती है. कहा जाता है कि इस दिन प्रातःकाल सूर्य देवता को अर्घ्य देकर सूर्य पूजा अवश्य करनी चाहिए. इसके साथ ही किसी पवित्र नदी तट पर स्नान करने से सारी सूर्ये देवता सारी मनोकामनाएं अवश्य पूरी करते हैं.

चैत्र मास की संकष्टी चतुर्थी (24 मार्च)

चैत्र कृष्ण पक्ष चतुर्थी के दिन ‘विकट’ नामक गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. यह व्रत करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है. व्रत करने वाले को सुबह उठकर नित्य कर्म से निवृत हो, स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके पश्चात श्री गणेश जी का पंचोपचार (धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, फूल) विधि पूजन से करना चाहिए. तत्पश्चात हाथ में जल एवं दूर्वा लेकर मन-ही-मन श्री गणेश का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र पढ़ना चाहिए.

मम सर्वकर्मसिद्धये विकटाय पूजनमहं करिष्ये"

इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी कार्य बिना किसी विघ्न के पूरे हो जाते हैं. भक्तों को गणेश जी की कृपा से सारे सुख प्राप्त होते हैं. यह व्रत संकटनाशक है. इस दिन शुद्ध घी के साथ बिजौरे नीम्बू का हवन करने से बांझ स्त्रियां भी पुत्रवती होती हैं.

श्री रंग पंचमी (25 मार्च)

25 मार्च को श्री रंग पंचमी मनाई जाएगी. इस रंग पंचमी को धनदायक माना जाता है. स्नान ध्यान के बाद सर्वप्रथम राधा कृष्ण जी को अबीर-गुलाल लगाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन राधा कृष्ण जी आपस में होली खेलते हैं. पंचमी की स्वामिनी माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी की भी इस दिन पूजा होती है. शिक्षा और धन प्राप्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. महाराष्ट्र में तो होली को ही रंग पंचमी कहा जाता है. मान्यता यह है कि इस दिन हवा में भिन्न-भिन्न रंग उड़ाये जाते हैं. इससे देवता अपनी पसंद के रंग की ओर आकर्षित होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि इससे ब्रह्मांड में सकारात्मक तंरगों का संयोग बनता है व रंग कणों में संबंधित देवताओं के स्पर्श की अनुभूति होती है.

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