Hartalika Teej 2019: सोलह श्रृंगार के बिना अधूरा माना जाता है हरतालिका तीज का त्योहार, जानें क्यों महिलाएं सज-संवरकर करती हैं पूजा
हरतालिका तीज 2019 सोलह श्रृंगार (Photo Credits: Facebook)

Hartalika Teej 2019 Solah Shringar: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव (Krishna Janmashtami) के बाद अब 1 सितंबर को देश के कई हिस्सों में हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का त्योहार मनाया जाएगा. इस पर्व को उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई इलाकों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. सुहागन महिलाओं (Married Women) के लिए हरतालिका तीज बहुत ही महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन वो अपने पति की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए निर्जला व्रत करती हैं. इस दिन महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी रचाती हैं, नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार (Solah Shringar) करके भगवान शिव (Lord Shiva), माता पार्वती (Maa Parvati) और भगवान गणेश (Lord Ganesha) की पूजा करती हैं. इस दिन महिलाए न सिर्फ 16 श्रृंगार करके सजती-संवरती हैं, बल्कि माता पार्वती को भी सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करती हैं.

अगर यह कहा जाए कि सोलह श्रृंगार के बिना हरतालिका तीज का पर्व अधूरा है तो यह गलत नहीं होगा. दरअसल, हरतालिका तीज अखंड सौभाग्य का पर्व है और सोलह श्रृंगार को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस दिन विवाहित महिलाओं को सोलह श्रृंगार करके हरतालिका तीज की पूजा करनी चाहिए. चलिए जानते हैं 16 श्रृंगार में शामिल चीजें और उनका महत्व.

हरतालिका तीज पर करें 16 श्रृंगार-

1- सिंदूर

इसे माता पार्वती और सती की शक्ति का प्रतीक माना जाता है. कहा जाता है कि सिंदूर लगाने से मां पार्वती सुहागन महिला की बुरी आत्माओं से रक्षा करती हैं. इसके अलावा इसमें कुछ ऐसे धातु होते हैं जो झुर्रियों के असर को कम करते हैं. यह भी पढ़ें: हरतालिका तीज 2019 कब है? 1 या 2 सितंबर को लेकर असमंजस, जानें सौभाग्य के इस पर्व की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

2- बिंदी

कहा जाता है कि माथे पर बिंदी लगाने से व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है. मस्तक के बीच के स्थान पर बिंदी लगाने से तीसरा नेत्र जागृत होता है. इससे महिलाओं का मस्तिष्क शांत रहता है और सुकून का एहसास होता है. इसके अलावा बिंदी लगाने से महिलाओं के आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है.

3- मांग टिका

मांग टिका महिलाओं के सुहागन होने के प्रतीक के तौर पर सिंदूर की रक्षा के लिए लगाया जाता है. सिर के बीचों-बीच पहना जाने वाला मांग टिका महिलाओं की सुंदरता को बढ़ाने के साथ-साथ मस्तिष्क संबंधी क्रियाओं को भी संतुलित व नियमित रखने में मदद करता है.

4- गजरा

बालों को महिलाओं का गहना कहा जाता है. बालों को सजाने के लिए महिलाएं गजरे और फूलों का इस्तेमाल करती हैं. कहा जाता है कि बालों में गजरा या फूल लगाने से उसकी खुशबू का मन की सेहत पर अच्छा प्रभाव पड़ता है.

5- मंगलसूत्र

मंगलसूत्र विवाहित महिला के सुहाग की निशानी होती है, जिसे महिलाएं अपने गले में हमेशा धारण करती हैं. मंगलसूत्र और इसकी मोतियों से होकर निकलने वाली वायु से महिलाओं का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. गले में सोना पहनने से दिल स्वस्थ रहता है, जबकि काले मोती महिलाओं को बुरी नजर से बचाते हैं.

6- झुमका

झुमके के बिना महिलाओं का सोलह श्रृंगार अधूरा माना जाता है. दरअसल, कान के निचले हिस्से में एक प्वॉइंट होता है, जिसके पास से आंखों की नसें गुजरती हैं. जब महिलाएं कान के इस प्वॉइंट को छिदवाकर इसमें झुमका या बाली पहनती हैं तो इससे आंखों की रोशनी तेज होती है.

7- चूड़ियां

सुहागन महिलाएं अक्सर अपने हाथों में चूड़ियां पहनती हैं. सुहागन होने की निशानी के साथ-साथ यह सेहत को भी फायदा पहुंचाता है. दरअसल, जब महिलाओं की चूड़ियां हाथों की कलाई पर टकराती हैं तो उससे शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है और हार्मोंस सतुंलित रहते हैं.

8- बाजूबंद

बाजूबंद सोलह श्रृंगार का हिस्सा होने के साथ-साथ मांसपेशियों या नसों के खिंचाव और हड्डियों के दर्द को कम करने में मदद करता है. इसे बाजुओं में पहनने से बांह पर स्थित केंद्रों पर दबाव पड़ता है जो महिलाओं को लंबे समय तक जवां और सुंदर बनाए रखता है. यह भी पढ़ें: Hartalika Teej 2019 Mehndi Designs: मेहंदी के बिना अधूरा है हरतालिका तीज का त्योहार, जरूर ट्राई करें ये लेटेस्ट व आकर्षक डिजाइन (Watch Video & Photos)

9- कमरबंद

मान्यता है कि कमरबंद को सुहाग के प्रतीक के अलावा अच्छी सेहत की कामना स्वरूप पहना जाता है. कमर में कमरबंद पहनने से महिलाओं में हर्निया होने की आशंका कम हो जाती है.

10- नथनी

नथनी नाक में जिस जगह पर पहनी जाती है वहां एक तरह का एक्यूप्रेशर प्वॉइंट होता है. कहा जाता है कि नथनी महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान होने वाले दर्द को करने में मदद करती है.

11- अंगूठी

हाथों की उंगलियों में पहनी जाने वाली अंगूठी महिलाओं के सौंदर्य को निखारती है. अंगूठी को भी सुहाग के लिए महत्वपूर्ण श्रृंगार माना जाता है. कहा जाता है कि उंगलियों में अंगूठी पहनने से आलस्य और सुस्ती में कमी आती है.

12- मेहंदी

हरतालिका तीज पर हाथों में मेहंदी लगाना बेहद शुभ माना जाता है, इसलिए महिलाएं सिर्फ तीज ही नहीं बल्कि अन्य त्योहारों पर भी अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं. मेहंदी न सिर्फ हथेली की सुंदरता में चार चांद लगाती है, बल्कि यह शरीर को भी ठंडा रखती है. इससे चर्म रोग भी दूर होता है.

13- पायल

पायल पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित रखने में मदद करती है. पैरों में पहनी जानेवाली चांदी की पायल महिलाओं के पेट और निचले अंगों में फैट बढ़ने से रोकती है. इसके अलावा पायल के पैरों से घर्षण होने के कारण पैरों की हड्डियां मजबूत होती हैं.

14- बिछिया

बिछिया पहनने से शरीर के निचले अंगों के तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियां मजबूत होती हैं. यह एक्यूप्रेशर उपचार पद्धति पर कार्य करती है और एक खास नस पर प्रेशर बनाती है, जिससे गर्भाशय में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है और गर्भधारण करने की क्षमता बढ़ती है. यह भी पढ़ें: September 2019 Calendar: सितंबर में मनाए जाएंगे हरतालिका तीज, गणेशोत्सव और नवरात्रि जैसे खास व्रत व त्योहार, देखें इस महीने पड़नेवाली छुट्टियों की पूरी लिस्ट

15- काजल

आंखों में काजल लगाने से महिलाओं की खूबसूरती में और निखार आता है. इससे आंखों को ठंडक मिलती है और आंखों से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती हैं. इसके अलावा आंखों में काजल लगाने से लोगों की बुरी नजर से भी रक्षा होती है.

16- मेकअप

महिलाएं भले ही कितने भी गहने और साज-श्रृंगार क्यों न कर लें, लेकिन मेकअप के बिना सब अधूरा सा लगता है. हरतालिका तीज या दूसरे खास पर्वों पर चेहरे पर हल्का मेकअप और नाखूनों पर नेल पेंट लगाने से महिलाओं की सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं और इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है.

बहरहाल, सजना-संवरना हर महिला का अधिकार होता है. शादी-ब्याह और तीज-त्योहारों के मौके पर हर महिला की यह ख्वाहिश होती है कि वो सबसे ज्यादा सुंदर दिखे. मान्यता है कि हरतालिका तीज पर सोलह श्रृंगार करके, सज-संवरकर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करने से सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.