Happy Gayatri Jayanti 2020 Greetings: गायत्री जयंती के पर प्रियजनों को इन खूबसूरत हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Messages, GIF Wishes, HD Images, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं
गायत्री मंत्र में चार वेदों का सार समाहित है, इसलिए इस पावन तिथि पर गायत्री माता का विधि पूर्वक पूजन करें और गायत्री मंत्र का जप करें. इसके साथ ही इस खास अवसर पर आप इन खूबसूरत हिंदी वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेज, जीआईएफ विशेज, एचडी इमेज, वॉलपेपर्स के जरिए अपने प्रियजनों, दोस्तों और रिश्तेदारों को गायत्री जयंती की शुभकामनाएं भी दे सकते हैं.
Gayatri Jayanti 2020 Greetings In Hindi: देश में आज (2 जून) निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के साथ-साथ गायत्री जयंती (Gayatri Jayanti) का पर्व भी मनाया जा रहा है. हालांकि गायत्री जयंती की तिथि को लेकर मतभेद भी है, क्योंकि कहीं पर गायत्री जयंती ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाई जाती है तो कई जगहों पर एकादशी तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है. इसके अलावा कई स्थानों पर श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को वेदमाता गायत्री देवी (Gayatri Mata) के जन्मोत्सव के रूप में गायत्री जयंती का पर्व मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां गायत्री को वेदमाता कहा जाता है, क्योंकि चारों वेद, शास्त्र और श्रुतियों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है. यहां तक कि त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराध्य भी इन्हें ही माना जाता है. गायत्री माता को त्रिदेवियों मां पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है.
गायत्री मंत्र में चार वेदों का सार समाहित है, इसलिए इस पावन तिथि पर गायत्री माता का विधि पूर्वक पूजन करें और गायत्री मंत्र का जप करें. इसके साथ ही इस खास अवसर पर आप इन खूबसूरत हिंदी वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेज, जीआईएफ विशेज, एचडी इमेज, वॉलपेपर्स के जरिए अपने प्रियजनों, दोस्तों और रिश्तेदारों को गायत्री जयंती की शुभकामनाएं (Happy Gayatri Jayanti Wishes) भी दे सकते हैं.
1- हैप्पी गायत्री जयंती
2- गायत्री जयंती की बधाई
3- गायत्री जयंती की शुभकामनाएं
4- गायत्री जयंती की हार्दिक बधाई
5- गायत्री जयंती 2020
शास्त्रों के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में भगवान ब्रह्मा के मुख से गायत्री मंत्र का प्राकट्य हुआ था. वेदमाता गायत्री की कृपा से ही ब्रह्माजी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या अपने चारों मुखों द्वारा चार वेदों के रूप में की थी. माना जाता है कि शुरुआत में गायत्री माता की महिमा केवल देवताओं तक ही सीमित थी, लेकिन महर्षि विश्वामित्र की कठोर तपस्या के कारण ही गायत्री माता की महिमा यानी गायत्री मंत्र जन-जन तक पहुंच पाया है.