Happy Ambedkar Jayanti 2020 Wishes & Images: आंबेडकर जयंती पर इन आकर्षक HD Wallpapers, WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Photo SMS के जरिए दें सभी को शुभकामनाएं
आज भारतीय संविधान के रचयिता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाई जा रही है. इस खास अवसर पर आप सोशल मीडिया के जरिए अपने प्रियजनों को बधाई जरूर दे सकते हैं. अगर आप अपने दोस्तों रिश्तेदारों को शुभकामनाएं देना चाहते हैं तो इन आकर्षक एचडी वॉलपेपर्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, फोटो एसएमएस, इमेज भेजकर बधाई दे सकते हैं.
Happy Ambedkar Jayanti 2020: पूरे देश में आज भारतीय संविधान (Indian Constitution) के रचयिता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की जयंती (Dr. Bhimrao Ambedkar Jayanti) मनाई जा रही है. हर साल 14 अप्रैल को उनके जन्मोत्सव को आंबेडकर जयंती (Ambedkar Jayanti) के रूप में मनाया जाता है. भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (Dr. Babasaheb Ambedkar) ने जीवन भर दलितों के उत्थान और समानता के अधिकार के लिए संघर्ष किया, इसलिए उनके जन्मोत्सव को भीम जयंती, समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में जन्में आंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था. बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. आंबेडकर ने विषम परिस्थितियों में संघर्ष कर न सिर्फ उच्च शिक्षा हासिल की, बल्कि समाज को भी शिक्षित किया.
भारत में आंबेडकर जयंती का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देश में लॉकडाउन है, जिसके चलते इस पर्व को बेहद सादगी से मनाया जा रहा है. हालांकि इस खास अवसर पर आप सोशल मीडिया के जरिए अपने प्रियजनों को बधाई जरूर दे सकते हैं. अगर आप अपने दोस्तों रिश्तेदारों को शुभकामनाएं देना चाहते हैं तो इन आकर्षक एचडी वॉलपेपर्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, फोटो एसएमएस, इमेज भेजकर बधाई दे सकते हैं. यह भी पढ़ें: Ambedkar Jayanti 2020 Wishes in Hindi: आंबेडकर जंयती पर दोस्तों-रिश्तेदारों को भेजें ये हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Messages, GIF Images, SMS, Wallpapers और दें शुभकामनाएं
1- हैप्पी आंबेडकर जयंती
2- आंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं
3- आंबेडकर जयंती की बधाई
4- आंबेडकर जयंती की हार्दिक बधाई
5- हैप्पी आंबेडकर जयंती 2020
गौरतलब है कि 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में एक औपचारिक सार्वजनिक समारोह में डॉ. आंबेडकर ने श्रीलंका के महान बौद्ध भिक्षु महत्थवीर चंद्रमणी से त्रिरत्न और पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म को अपना लिया. उन्होंने अपनी आखिरी किताब 'द बुद्ध एंड हिज धम्म' लिखी थी. इस किताब को पूरा करने के तीन दिन बाद 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में उनका निधन हो गया. उनकी मौत के बाद साल 1957 में उनकी आखिरी पुस्तक प्रकाशित हुई थी. डॉ. आंबेडकर के अंतिम संस्कार के समय उन्हें साक्षी मानकर करीब 10 लाख समर्थकों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी.