Guru Tegh Bahadur ji Prakash Purab 2022 Wishes: हैप्पी गुरु तेग बहादुर जयंती! शेयर करें ये WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images और Wallpapers
गुरु तेग बहादुर जयंती 2022 (Photo Credits: File Image)

Guru Tegh Bahadur ji Prakash Purab 2022 Wishes in Hindi: सिख धर्म के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी की जयंती (Guru Tegh Bahadur Ji Jayanti) इस साल 21 अप्रैल 2022 को मनाई जा रही है. उनका जन्म 1621 में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को अमृतसर में हुआ था. उनके पिता का नाम गुरु हरगोबिंद सिंह (Guru Hargobind Singh) था, जो सिखों के छठे गुरु थे. बचपन में गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur) को त्यागमल के नाम से पुकारा जाता था, वे बचपन से ही संत स्वरूप गहन विचार वाले, उदार चित्त और बहादुर स्वभाव के थे. सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करने वाले गुरु तेग बहादुर के स्वभाव में शांति, क्षमा, सहनशीलता जैसे गुण भरे हुए हुए थे. उनका मानना था कि धर्म के मार्ग को विजय का मार्ग बताने वाले गुरु तेग बहादुर ने दुनिया को प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दिया था.

गुरु तेग बहादुर जी ने लोगों को धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने का उपदेश दिया था. इसके साथ ही उन्होंने लोगों के आध्यात्मिक, सामाजिक और आर्थिक उद्धार के लिए कई रचनात्मक कार्य किए. गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व पर इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस और वॉलपेपर्स को अपनों संग शेयर कर उन्हें हैप्पी गुरु तेग बहादुर जयंती विश कर सकते हैं.

1- हैप्पी गुरु तेग बहादुर जयंती 2022

गुरु तेग बहादुर जयंती 2022 (Photo Credits: File Image)

2- हैप्पी गुरु तेग बहादुर प्रकाश पर्व 2022

गुरु तेग बहादुर जयंती 2022 (Photo Credits: File Image)

3- गुरु तेग बहादुर प्रकाश पर्व 2022

गुरु तेग बहादुर जयंती 2022 (Photo Credits: File Image)

4- गुरु तेग बहादुर का 400वां प्रकाश पर्व

गुरु तेग बहादुर जयंती 2022 (Photo Credits: File Image)

5- गुरु तेग बहादुर जयंती की शुभकामनाएं

गुरु तेग बहादुर जयंती 2022 (Photo Credits: File Image)

दरअसल, गुरु तेग बहादुर सिंह जी के जीवन का प्रथम दर्शन यही था कि धर्म का मार्ग ही सत्य और विजय का मार्ग है. उन्होंने कश्मीरी पंडितों और अन्य हिंदुओं को जबरन मुसलमान बनाए जाने का कड़ा विरोध किया था. सन 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम कुबूल करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इनकार करते हुए कहा कि वो शीश कटा सकते हैं, लेकिन केश नहीं. उन्होंने धर्म और मानवीय मूल्यों के रक्षा करने के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया था.