Guru Ravidas Jayanti 2021 Quotes: भारत के महान संतों में शुमार गुरु रविदास (Guru Ravidas) एक महान संत, दर्शनशास्त्री, कवि, समाज सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे. आज (27 फरवरी 2021) गुरु रविदास जी की जयंती (Guru Ravidas Jayanti) मनाई जा रही है. उनका जन्म माघ मास की पूर्णिमा (Magha Purnima) तिथि को काशी यानी वाराणसी (Varanasi) में हुआ था. हालांकि कुछ जानकारों का मानना है कि उनका जन्म साल 1388 था, जबकि कुछ विद्वान कहते हैं कि उनका जन्म 1398 में हुआ था. देश के विभिन्न हिस्सों में माघ पूर्णिमा के दिन संत रविदास जी की जयंती यानी उनका जन्म दिवस मनाया जाता है. इस दिन लोगों द्वारा नगर कीर्तन जुलूस निकालने की प्रथा है, जिसमें गीत-संगीत और दोहा आदि गाए जाते हैं. इस दिन रविदास जी के अनुयायी गंगा स्नान भी करने जाते हैं और घर या मंदिर में उनकी प्रतिमा की पूजा-अर्चना करते हैं. खासकर वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर के श्री गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर पर उनके जन्मोत्सव को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.
गुरु रविदास ने समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई और जीवन भर छुआछूत, जात-पात जैसी कुरीतियों के खिलाफ काम करते रहे. उन्होंने लोगों को संदेश दिया कि ईश्वर ने इंसान को बनाया न कि इंसान ने भगवान को. इस धरती के हर जीव को भगवान ने बनाया है और सभी को समान अधिकार दिया है. गुरु रविदास जितने महान संत थे उनके विचार भी उतने ही अनमोल थे. गुरु रविदास जयंती पर आप भी अपनों के साथ इस महान संत के अनमोल विचारों को शेयर कर सकते हैं और उन्हें इस पर्व की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- भगवान उस ह्रदय में वास करते हैं जिसके मन में किसी के प्रति बैर भाव नहीं है, कोई लालच या द्वेष नहीं है.
2- ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन, पूजिए चरण चंडाल के जो होवे गुण प्रवीन.
3- कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं, बल्कि अपने कर्म के कारण होता है. व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं.
4- हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए और साथ-साथ मिलने वाले फल की भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए, क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य.
5- कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न दें. एक छोटी सी चींटी शक्कर के दानों को बीन सकती है, लेकिन एक विशालकाय हाथी ऐसा नहीं कर सकता.
6- मोह-माया में फंसा जीव भटकता रहता है, जबकि इस माया को बनाने वाला ही मुक्ति दाता है.
7- मन चंगा तो कठौती में गंगा.
8- जीव को यह भ्रम है कि यह संसार ही सत्य है किंतु जैसा वह समझ रहा है वैसा नही है, वास्तव में संसार असत्य है.
कहा जाता है कि एक बार गुरु जी के कुछ विद्यार्थी और अनुयायी ने उनसे पवित्र नदी गंगा में स्नान के लिए पूछा तो उन्होंने यह कहते हुए जाने से मना कर दिया कि उन्होंने एक ग्राहक को जूते देने का वादा किया है, इसलिए समय पर जूते देना उनकी पहली जिम्मेदारी है. जब एक विद्यार्थी ने उनसे दोबारा साथ चलने का आग्रह किया तो उन्होंने कहा कि 'मन चंगा तो कठौती में गंगा', जिसका अर्थ है- अगर हमारा हृदय शुद्ध है और पवित्र है तो हमें किसी तीर्थ पर जाने की जरूरत नहीं, एक कटोरी का जल भी गंगा जल के समान ही है. उन्होंने अपने जीवन काल में हमेशा लोगों को वैश्विक भाईचारा और सहिष्णुता का ज्ञान दिया.