Ganesh Chaturthi 2024 Messages in Hindi: अखंड सौभाग्य के पर्व हरतालिका तीज (Hartalika Teej) के दिन सुहागन महिलाएं भगवान शिव (Bhagwan Shiv) और माता पार्वती (Mata Parvati) की पूजा करती हैं, फिर उसके अगले दिन देशभर में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है और इसी के साथ दस दिवसीय गणेशोत्सव (Ganeshotsav) की शुरुआत हो जाती है, जबकि इसका समापन भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी यानी अनंत चतुर्दशी को होता है. ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी का जन्म हुआ था, इसलिए इसे गणेश चतुर्थी के तौर पर मनाया जाता है.
गणेश चतुर्थी के दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती के लाड़ले पुत्र गणपति बप्पा की प्रतिमाओं का धूमधाम से स्वागत करते हैं. इस दौरान हर तरफ गणपति बप्पा मोरया की गूंज सुनाई देती है और हर कोई उनकी भक्ति में सराबोर नजर आता है. इसके साथ ही पर्व की बधाई भी दी जाती है. ऐसे में आप भी इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स और कोट्स को दोस्तों-रिश्तेदारों संग शेयर करके उन्हें शुभ गणेश चतुर्थी कह सकते हैं.
1- ॐ गं गणपतये नमः
नए कार्य की शुरूआत अच्छी हो,
हर मनोकामना सच्ची हो,
गणेश जी का मन में वास रहे,
इस गणेश चतुर्थी आप अपनों के पास रहे.
शुभ गणेश चतुर्थी
2- आपका और खुशियों का जन्म-जन्म का साथ हो,
आपकी तरक्की की हर किसी की जुबां पर बात हो,
जीवन में जब भी कोई मुसीबत आए आप पर,
तो भगवान गणेश हमेशा आपके साथ हों.
शुभ गणेश चतुर्थी
3- धरती पर बारिश की बूंदे बरसे,
आप के ऊपर अपनों का प्यार बरसे,
'गणेशजी' से बस यही दुआ है,
आप खुशी के लिए नहीं,
खुशी आप के लिए तरसे.
शुभ गणेश चतुर्थी
4- आते बड़े धूम से गणपति जी,
जाते बड़े धूम से गणपति जी,
सबसे पहले आकर हमारे,
दिलों में बस जाते गणपति जी.
शुभ गणेश चतुर्थी
5- सब शुभ कारज में पहले पूजा तेरी,
तुम बिना काम ना सरे, अरज सुन मेरी,
रिद्धि-सिद्धि को लेकर करो भवन में फेरी,
करो ऐसी कृपा नित करूं मैं पूजा तेरी.
शुभ गणेश चतुर्थी
प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने स्नान से पहले अपने शरीर के मैल से पुतला बनाया और उसमें प्राण फूंक दिए. उसके बाद उन्होंने अपने पुत्र को द्वारपाल के तौर पर नियुक्त किया और स्नान करने चली गईं. माता की आज्ञा का पालन करते हुए गणेश जी ने भगवान शिव को अंदर जाने से रोक दिया, जिससे महादेव क्रोधित हो गए और उन्होंने गणेश जी का मस्तक काट दिया. अपने पुत्र के इस हाल को देखकर माता पार्वती ने क्रोधित होकर गणेश जी को जीवनदान देने के लिए कहा, जिसके बाद गणेश जी ने धड़ पर हाथी सिर जोड़ा गया, इसलिए उन्हों गजानन भी कहा जाता है.