Ganesh Chaturthi 2023 Wishes in Sanskrit: देवों के देव महादेव (Mahadev) और माता पार्वती (Mata Parvati) के लाड़ले पुत्र भगवान गणेश (Bhagwan Ganesh) के जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर्व के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए उनके जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी के तौर पर मनाया जाता है. इस साल 19 सितंबर 2023 को गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है और इसी दिन से दस दिवसीय गणेशोत्सव (Ganeshotsav) की शुरुआत भी हो रही है, जिसका समापन 28 सितंबर 2023 को अनंत चतुर्दशी के दिन होगा. गणेशोत्सव को लेकर ऐसा कहा जाता है कि गणपति बप्पा गणेश चतुर्थी के दिन अपने भक्तों के बीच उनके सारे विघ्नों को हरने और उनकी मुरादों की झोली भरने के लिए आते हैं, फिर दस दिन बाद अनंत चतुर्दशी गणपति बप्पा वापस कैलाश लौट जाते हैं.
भगवान गणेश को प्रथम देवता माना गया है, इसलिए किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले उनकी पूजा की जाती है. मान्यता है कि इसी तिथि पर उनका जन्म हुआ था, इसलिए इसे गणेश चतुर्थी के तौर पर मनाया जाता है. ऐसे में आप अपने प्रियजनों को संस्कृत में इन प्यार भरे विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स, ग्रीटिंग्स, एसएमएस और श्लोक को भेजकर बधाई दे सकते हैं.
1- पार्वतीनन्दनं शम्भोरानन्दपरिवर्धनम् । भक्तानन्दकरं नित्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥
भावार्थ: जो पार्वती जी को पुत्र रूप से आनंद प्रदान करते और भगवान शिव का भी आनंद बढ़ाते हैं, उन भक्तानन्दवर्धन मयूरेश गणेश को मैं नित्य नमस्कार करता हूं.
2- एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं। विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
भावार्थ: जो एक दांत से सुशोभित हैं, विशाल शरीरवाले हैं, लम्बोदर हैं, गजानन हैं तथा जो विघ्नों के विनाशकर्ता हैं, मैं उन दिव्य भगवान हेरम्ब को प्रणाम करता हूं.
3- त्रिलोकेश गुणातीत गुणक्षोम नमो नमः।
त्रैलोक्यपालन विभो विश्वव्यापिन् नमो नमः॥
भावार्थ: हे त्रैलोक्य के भगवान! हे गुणी! हे मेधावी! आपको बार-बार नमस्कार। हे त्रिभुवन पालक! हे विश्वव्यापी! आपको बार-बार नमस्कार.
4- विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं। नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
भावार्थ: विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं के प्रिय, लम्बोदर, कलाओं से परिपूर्ण, जगत का हित करनेवाले, गज के समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वती पुत्र को नमस्कार है, हे गणनाथ! आपको नमस्कार है.
5- वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:। निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥
भावार्थ: हे गज के समान विशालकाय, आपका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान है. हे देव, बिना विघ्न मेरे कार्य पूर्ण हों और सदा ही आप मेरे लिए शुभ हों, ऐसी कामना है.
गौरतलब है कि गणेश चतुर्थी से दस दिवसीय गणेशोत्सव का शुभारंभ होता है, इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश यानी गणपति बप्पा की प्रतिमाओं का धूमधाम से स्वागत किया जाता है और सार्वजनिक पंडालों व घरों में भक्त उनकी मूर्ति को स्थापित कर पूरे दस दिन तक गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करते हैं. इस दौरान पूरे महाराष्ट्र में इस उत्सव की छटा देखते ही बनती है.