Eid-e-Milad Un Nabi 2020 Mubarak Messages in Hindi: ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (Eid-e-Milad Un Nabi) या ईद-ए-मिलाद (Eid-e-Milad) को इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर- पैगंबर मोहम्मद साहब (Prophet Mohammad Sahab) की जयंती के रूप में मनाया जाता है. इसे आम बोलचाल की भाषा में नबीद (Nabid) या मावलिद (Mawlid) भी कहा जाता है. इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के तीसरे महीने यानी रबी-अल-अव्वल (Rabi-Al-Awwal) की 12वीं तारीख को 571ईं में पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था. इस साल रबी-अल-अव्वल महीने की शुरुआत 19 अक्टूबर से हुई है, जिसके मुताबिक आज (30 अक्टूबर 2020) भारत में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का पर्व मनाया जा रहा है. सुन्नी संप्रदाय के लोग पैंगबर मोहम्मद साहब के जन्मदिवस को इस माह के 12वें दिन मनाता है, जबकि शिया संप्रदाय के लोग इस माह के 17वें दिन ईद-ए-मिलाद मनाते हैं.
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग नए कपड़े पहनते हैं, मस्जिदों में नमाज अदा की जाती है. इस दिन दावत के साथ-साथ पैगंबर मोहम्मद साहब की याद में जुलूस निकाला जाता है. इसके साथ ही लोग इस पर्व की एक-दूसरे को बधाई भी देते हैं. आप भी अपनों को इन प्यारे मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टेटस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस, फोटो विशेज, कोट्स, वॉलपेपर और शायरी के जरिए ईद-ए-मिलाद मुबारक कह सकते हैं.
1- वो अर्श का चरागाह है,
मैं उसके कदमों की धूल हूं,
ऐ जिंदगी गवाह रहना,
मैं गुलाम-ए-रसूल हूं.
ईद-ए-मिलाद मुबारक
2- मुबारक मौका अल्लाह ने अता फरमाया,
एक बार फिर बंदगी के पथ पर चलाया,
अदा करना अपना फर्ज खुदा के लिए,
खुशी से भरी हो मिलाद-उन-नबी आपके लिए.
ईद-ए-मिलाद मुबारक
3- आज अमीरी-गरीबी के फासले न रहें,
हर इंसान एक-दूजे को अपना भाई कहे,
आज सब कुछ भूल के आ लग जा गले,
मिलाद-उन-नबी मुबारक हो तुम्हे.
ईद-ए-मिलाद मुबारक
4- आप ईद के चांद की तरह जगमगाते रहें,
जैसे चांद का काम है रात में रोशनी देना,
तारों का काम है बस चमकते रहना,
दिल का काम है अपनों की याद में धड़कते रहना,
वैसे हमारा काम है अपनों की सलामती की दुआ करना.
ईद-ए-मिलाद मुबारक
5- ऐ चांद तू उनको मेरा यह पैगाम देना,
खुशी का दिन और हंसी की शाम देना,
जब भी वो देखें तुझे बाहर आकर,
उनको मेरी तरफ से ईद मुबारक कहना.
ईद-ए-मिलाद मुबारक
गौरतलब है कि ईद-ए-मिलाद को पैगंबर मोहम्मद साहब पुण्यतिथि के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख को ही उनका निधन भी हुआ था. यही वजह है कि मुस्लिम समाज का एक वर्ग जहां इसे खुशी के पर्व की तरह मनाता है, तो वहीं एक वर्ग शोकग्रस्त रहता है. हालांति दोनों वर्ग के लोग इस दिन पैगंबर मोहम्मद साहब के उपदेशों को सम्मान के साथ ग्रहण करते हैं. बहरहाल, इस साल कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण इस पर्व की रौनक भी कुछ फीकी पड़ गई है और लोग कोविड-19 से जुड़े दिशानिर्देशों का पालन करते हुए इस पर्व को मना रहे हैं.