Eid Ul-Adha 2025: भारत में दिखा चांद, इस दिन मनाई जाएगी बकरीद; जानें इस्लाम में क्यों खास है यह दिन
Eid Ul-Adha 2025 | File

Eid Ul-Adha 2025: भारत में बुधवार, 29 मई 2025 को धुल हिज्जा 1446 हिजरी का चांद नजर आ गया है. इस चांद के दिखने के साथ ही बकरीद (ईद-उल-अजहा) की तारीख तय हो गई है. शिया और सुन्नी चांद कमेटियों ने संयुक्त रूप से ऐलान किया है कि भारत में बकरीद 7 जून 2025, शनिवार को मनाई जाएगी. इसके अनुसार 6 जून को अराफात का दिन होगा, जो इस्लाम धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है. बकरीद दुनियाभर के मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक जुल-हिज्जा या धुल-हिज्जा की 10 तारीख को मनाया जाता है.

इस्लाम धर्म के लगभग सभी त्योहार चंद्रमा पर आधारित होते हैं और चांद नजर आने के बाद ही तारीख कंफर्म होती है. इसी तरह बकरीद की तारीख को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई थी. लेकिन आज 28 मई 2025 को भारत में धुल हिज्जा का चांद दिख गया है.

क्या है ईद-उल-अजहा?

ईद-उल-अजहा को बकरीद, कुर्बानी की ईद, ईद-उल-जुहा, ईद क़ुर्बान, या कुर्बान बैरामी के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार पैगंबर इब्राहीम अलैहिस्सलाम की अल्लाह के प्रति समर्पण और आज्ञापालन की याद में मनाया जाता है. यह इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने धुल हिज्जा की 10वीं तारीख को आता है.

आस्था, कुर्बानी और एकजुटता का त्योहार

ईद-उल-अजहा सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि आस्था, समर्पण और समाज के लिए कुछ करने की भावना का प्रतीक है. इस दिन मुसलमान अपने-अपने इलाकों की मस्जिदों या ईदगाहों में विशेष नमाज अदा करते हैं. नमाज से पहले या बाद में इमाम साहब द्वारा दिए गए खुतबे (उपदेश) में कुर्बानी, अल्लाह की आज्ञा का पालन, और दूसरों के प्रति दया भाव पर जोर दिया जाता है.

ईद-उल-अजहा के दिन लोग नए और अच्छे कपड़े पहनते हैं, एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं और पारिवारिक स्तर पर खुशियों को साझा करते हैं. हर घर में खास पकवान बनते हैं, और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं.

हज और धुल हिज्जा: इस्लाम के पांच स्तंभों में एक

धुल हिज्जा माह की शुरुआत के साथ ही दुनिया भर से मुसलमान हज यात्रा के लिए मक्का की ओर रवाना होते हैं. हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और हर समर्थ मुसलमान के लिए जीवन में एक बार हज करना जरूरी माना गया है. हज यात्रा के बाद ही ईद-उल-अजहा का पर्व आता है, जिससे इस त्योहार का महत्व और बढ़ जाता है.