Dussehra 2019: इस वजह से विजयादशमी के दिन होती है शमी की पूजा और सोने की पत्तियां बांटकर दी जाती है दशहरा की शुभकामनाएं

विजयादशमी यानी दशहरा के अवसर पर देश में कई जगहों पर रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. इस दिन शमी की पूजा का विधान है और कई जगहों पर लोग अप्टा यानी बीड़ी की पत्तियों को सोना मानकर उसका आदान-प्रदान करते हैं और एक-दूसरे को दशहरा की शुभकामनाएं देते हैं.

शमी और सोने की पत्तियां (Photo Credits: Facebook/Flickr, Dinesh Valke)

Dussehra 2019: अच्छाई पर बुराई की जीत, असत्य पर सत्य की जीत और अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व विजयादशमी (Vijayadashami) यानी दशहरा (Dussehra) की देशभर में धूम मची हुई है. हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में शुमार दशहरा को देशभर में मनाया जाता है. यहां लोग अलग-अलग रीति-रिवाजों के अनुसार इस पर्व को मनाते हैं, लेकिन मकसद एक ही होता है और वो है बुराई रूपी रावण (Ravana) को जलाकर अच्छाई की राह पर चलना. कहा जाता है कि आश्विम महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को ही भगवान राम (Lord Rama) को रावण (Ravan) पर विजय मिली थी और इस दिन नौ दिनों की नवरात्रि (Navratri) का भी समापन होता है.

विजयादशमी पर देश में कई जगहों पर रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. इस दिन शमी की पूजा का विधान है और कई जगहों पर लोग अप्टा (Apta Leaves) यानी बीड़ी की पत्तियों (Bidi Leaf) को सोना (Sona) मानकर उसका आदान-प्रदान करते हैं और एक-दूसरे को दशहरा की शुभकामनाएं देते हैं. दिल के आकार की तरह नजर आने वाली इन पत्तियों को विज्ञान की भाषा में बाउहिनिया रेसमोसा (Bauhinia racemosa) कहा जाता है. यह भी पढ़ें: Bijoya Dashami 2019: नवरात्रि के दसवें दिन अपने मायके से ससुराल जाती हैं मां दुर्गा, जानिए बंगाली समुदाय के लोग कैसे मनाते हैं बिजोया दशमी का पर्व

मराठा सैनिकों की जीत का प्रतीक है सोने की पत्तियां

कहा जाता है कि जब मराठा सैनिक युद्द में विजयी होकर अपने साथ ढेर सारा सोना और युद्ध के हथियारों को लेकर लौटे, तब इन चीजों को भगवान के सामने रखकर उनकी पूजा की गई और प्रियजनों में सोना बांटा गया. इस परंपरा को बरकरार रखने के लिए महाराष्ट्र में विजयादशमी के दिन रावण दहन के बाद सोने के प्रतीक के तौर पर सोने की पत्तियों को बांटकर दशहरे की शुभकामनाएं दी जाती हैं.

जब महर्षि वरतंतु ने मांगे थे 14 करोड़ सोने के सिक्के

एक पौराणिक कथा के अनुसार, अयोध्या में वरतंतु नाम के एक महर्षि ने कौत्स को पाल-पोसकर बड़ा किया और उसे अपना समस्त ज्ञान प्रदान किया. ज्ञान प्राप्त करने के बाद कौत्स आश्रम से जाने लगा तब उसने महर्षि वरतंतु से गुरु दक्षिण मांगने का आग्रह किया. बार-बार आग्रह किए जाने के बाद महर्षि ने अपने शिष्य से 14 करोड़ सोने के सिक्कों की मांग की. इसके बाद सोने के सिक्कों के लिए कौत्स अयोध्या के राजा राम के पास पहुंचे.

कौत्स की बात सुनने के बाद उसकी इस समस्या का निवारण करने के लिए भगवान राम ने उसे इस वृक्ष के नीचे खड़े रहकर इंतजार करने के लिए कहा. तीन दिन बीत जाने के बाद उस वृक्ष से सोने के सिक्कों की बरसात होने लगी और कौत्स गुरु दक्षिण देने के लिए 14 करोड़ सिक्के लेकर वहां से चला गया. बाद में इन सिक्कों को गरीबों में बांटा गया. कहा जाता है कि भगवान राम की कृपा से ही कुबरे देवता ने यह चमत्कार किया था. यह भी पढ़ें: Dussehra 2019 Ravan Dahan Muhurat: जानिए रावण दहन का सही समय, विजयादशमी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त समेत तमाम जानकारी

विजयादशमी के दिन की जाती है शमी की पूजा

विजयादशमी के दिन कई जगहों पर शमी के वृक्ष की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि महाभारत के युद्ध में पांडवों ने शमी के वृक्ष के ऊपर अपने हथियार छुपाए थे, जिसके बाद उन्होंने कौरवों पर विजय प्राप्त की थी, इसलिए विजयादशमी पर शमी की पूजा की जाती है. इस दिन प्रदोषकाल में शमी के वृक्ष की पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है. विजयादशमी पर शमी के वृक्ष की पूजा कर उसकी कुछ पत्तियों को घर के पूजा घर में रखने से लाभ होता है.

मान्यता है कि शमी का वृक्ष घर में लगाने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस वृक्ष की पूजा करने से शनि का प्रकोप कम होता है. इसके अलावा घर में इस वृक्ष को लगाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और यह वृक्ष आने वाली विपदाओं का संकेत पहले ही दे देता है, इसलिए इस दिन शमी के वृक्ष की पूजा करना शुभ माना जाता है.

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