देश के कई हिस्सों में दीपावली उत्सव गोवत्स द्वादशी से शुरू होता है, जबकि कुछ समुदायों में धनतेरस पांच दिवसीय त्योहार का पहला दिन होता है. दिवाली के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक अभ्यंग स्नान (Abhyanga Snan ) है जो नरक चतुर्दशी के दिन किया जाता है. माना जाता है कि इस पवित्र स्नान से मन, शरीर और आत्मा पर शांत प्रभाव पड़ता है. अभ्यंग स्नान एक पवित्र स्नान अनुष्ठान है जो नरक चतुर्दशी की सुबह तिल के तेल से मालिश के बाद होता है. अभ्यंग स्नान की परंपरा का गहरा अर्थ और महत्व है. यह आलस्य और किसी के जीवन से नकारात्मक या बुराई को खत्म करने के लिए किया जाता है. नकारात्मकताओं पर काबू पाने से व्यक्ति सही दिशा में आगे बढ़ सकता है. यह भी पढ़ें: Narak Chaturdashi 2020: नरक चतुर्दशी कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और छोटी दिवाली से जुड़ी पौराणिक कथा
अभ्यंग स्नान बुराई के उन्मूलन का प्रतीक है. इससे जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के हाथों नरकासुर राक्षस का वध करवाया. नरकासुर के वध के बाद उनकी रानियों द्वारा भगवान कृष्ण को स्नान करवाया गया. यह स्नान कृष्ण के माथे से नरकासुर के खून के दाग को हटाने के लिए किया गया था. आध्यात्मिक रूप से अभ्यंग स्नान किसी के शरीर और मन से बुराई को हटाने का प्रतीक है. यह भी पढ़ें: Diwali 2019 Narak Chaturdashi: इसी दिन हुआ था पवन पुत्र हनुमान जी का जन्म!
अभ्यंग स्नान तिथि:
नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान किया जाता है. इस वर्ष नरक चतुर्दशी 14 नवंबर को मनाई जाएगी.
अभ्यंग स्नान शुभ मुहूर्त:
शुभ मुहूर्त सुबह 5:23 बजे से 6:43 बजे के बीच है.
इस दिन स्नान से पहले परंपरागत रूप से विभिन्न प्रकार के सुगंधित जड़ी-बूटियों और दालों से बना उबटन लगाया जाता है. लोग इस मिश्रण का उपयोग सिर से लेकर पैर तक न केवल अपने शरीर को साफ करने और मॉइस्चराइज करने के लिए करते हैं, बल्कि इससे पित्त दोष और मृत त्वचा कोशिकाओं से भी छुटकारा मिलता है. इसे लगाने से शरीर हाइड्रेटेड, शांत और तरोताजा हो जाता है.