Dhanu Sankranti 2020: आज मनाई जा रही है धनु संक्रांति, जानें ओडिशा में मनाए जाने वाले इस पर्व का शुभ मुहूर्त और महत्व
आज (15 दिसंबर 2020) धनु संक्रांति मनाई जा रही है. इस दिन नौ ग्रहों के राजा भगवान सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है. धुन संक्रांति को ओडिशा में विशेष रूप से मनाया जाता है और यहां इस पर्व को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.
Dhanu Sankranti 2020: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का बहुत विशेष महत्व बताया जाता है. हालांकि जनवरी महीने में मनाए जाने वाले इस पर्व के अलावा हर महीने संक्रांति (Sankranti) पड़ती है और सूर्यदेव (Suryadev) हर महीने अपनी राशि बदलते हैं. आज (15 दिसंबर 2020) धनु संक्रांति (Dhanu Sankranti) मनाई जा रही है. इस दिन नौ ग्रहों के राजा भगवान सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है. धुन संक्रांति को ओडिशा (Odisha) में विशेष रूप से मनाया जाता है और यहां इस पर्व को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. ओडिशा में इस पर्व को पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन भगवान जगन्नाथ (Bhagwan Jagannath) की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. चलिए जानते हैं ओडिशा में धूमधाम से मनाए जाने वाले पर्व धनु संक्रांति का महत्व और शुभ मुहूर्त.
धनु संक्रांति शुभ मुहूर्त
धनु संक्रांति 15 दिसंबर यानी आज मनाई जा रही है. यह चंद्र पौष माह के पहले दिन को चिह्नित करता है. पंचांग के अनुसार, धनु संक्रांति पुण्य काल 3:43 PM से 5:27 PM तक है, जबकि धनु संक्रांति का महा पुण्य काल 3:43 PM से 5:26 PM के बीच है. यह भी पढ़ें: Surya Grahan 2020: साल का आखिरी सूर्यग्रहण! जानें सूतककाल में नहीं होने पर भी क्यों माना जा रहा है खास?
धनु संक्रांति का महत्व और उत्सव
धनु संक्रांति उस दिन को चिह्नित करता है, जब सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करते हैं. इस दिन लोग सूर्य भगवान की पूजा करते हैं. ओडिशा में पौष माह को विशेष रूप से मनाया जाता है. दरअसल, यह फसल की कटाई के बाद का पर्व है, इसलिए यहां के लोग खेतों में हुई अच्छी उपज और मेहनत का फल प्राप्त होने की खुशी में जश्न मनाते हैं. इस उत्सव को 15 दिन से एक महीने तक यानी मकर संक्रांति तक मनाया जाता है.
धनु संक्रांति के दिन भगवान जगन्नाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन एक विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है, जिसमें शंकुधारी आकार में मीठे चावल शामिल होते हैं. इस प्रसाद को भगवान जगन्नाथ को अर्पित किया जाता है. इस पर्व को परिवार के लोग मिल-जुलकर एक साथ मनाते हैं. भगवान श्रीकृष्ण के जीवन को चित्रित करने के लिए नाटक, संगीत प्रदर्शन इत्यादि आयोजित किए जाते हैं. इस दिन दान-पुण्य करना और पैतृक पूजा करना शुभ माना जाता है. इस दिन कुछ महिलाएं व्रत भी रखती हैं, माना जाता है कि ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.