Chhath Puja 2024 Wishes: छठ पूजा के इन भक्तिमय हिंदी Quotes, WhatsApp Messages, Facebook Greetings को भेजकर अपनों को दें शुभकामनाएं
छठ पूजा के व्रत को काफी कठिन माना जाता है और इसके नियम भी काफी कठोर होते हैं, क्योंकि इस दौरान व्रती को 36 घंटे तक निर्जल व्रत रखना होता है. छठ पूजा महापर्व के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन ऊषा अर्घ्य दिया जाता है. इस अवसर पर आप इन भक्तिमय विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर अपनों को छठ पूजा की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
Chhath Puja 2024 Wishes in Hindi: पांच दिवसीय दिवाली (Diwali Festival) के महापर्व को सेलिब्रेट करने के बाद 5 नवंबर 2024 से नहाय-खाय (Nahay Khay) के साथ आस्था के महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत हो गई है, जिसका समापन 8 नवंबर को ऊषा अर्घ्य के साथ होगा. छठ पूजा महापर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है, जिसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है, जबकि चार दिवसीय छठ पूजा का सबसे मुख्य पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है. छठ पूजा के पर्व को बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और नेपाल के तराई वाले क्षेत्रों में मनाया जाता है. इस पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई, छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है.
छठ पूजा के व्रत को काफी कठिन माना जाता है और इसके नियम भी काफी कठोर होते हैं, क्योंकि इस दौरान व्रती को 36 घंटे तक निर्जल व्रत रखना होता है. छठ पूजा महापर्व के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन ऊषा अर्घ्य दिया जाता है. इस अवसर पर आप इन भक्तिमय विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर अपनों को छठ पूजा की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
गौरतलब है कि छठ पूजा के पहले पर्व यानी नहाय-खाय के दिन व्रती स्नान करने के बाद प्रसाद बनाना शुरु कर देते हैं और एक ही बार खाना खाते हैं, पर्व के दूसरे दिन खरना या लोहंडा पर व्रती गुड की खीर का प्रसाद खाते हैं, फिर 36 घंटे का निर्जल व्रत शुरु हो जाता है. छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे खास होता है, क्योंकि इसी दिन शाम के समय किसी पवित्र नदी या तालाब में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है, फिर चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है. चौथे दिन ऊषा अर्घ्य के बाद व्रती अपने व्रत का पारण करते हैं.