Chandra Shekhar Azad Punyatithi 2023 Quotes: देश के स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) की आज यानी 27 फरवरी को पुण्यतिथि मनाई जा रही है और इस अवसर पर पूरा देश उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे. उनका जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ स्थित भाबरा गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, उनके पिता सीताराम तिवारी एक प्रकांड पंडित थे और उनकी माता जगरानी देवी एक गृहिणी थीं. बचपन में आजाद को चंद्रशेखर सीताराम तिवारी के नाम से पुकारा जाता था, लेकिन बाद में उन्होंने अपने नाम के साथ आजाद जोड़ लिया था.
भारत मां के वीर सपूत चंद्रशेखर आजाद के मन में छोटी सी उम्र से ही ब्रिटिश शासन की दमनकारी नीतियों और उनकी क्रूरता के खिलाफ विद्रोह की भावना जागने लगी थी. आजादी के इस क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी ने यह प्रण लिया था कि वे कभी भी जिंदा पुलिस के हाथ नहीं लगेंगे. चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि के अवसर पर आप उनके इन क्रांतिकारी विचारों को शेयर करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
1- चिंगारी आजादी की सुलगती मेरे जिस्म में है. इंकलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में हैं. मौत जहां जन्नत हो यह बात मेरे वतन में है. कुर्बानी का जज्बा जिंदा मेरे कफन में है.
2- अगर आपके लहू में रोष नहीं है तो ये पानी है, जो आपकी रगों में बह रहा है. ऐसी जवानी का क्या मतलब जो मातृभूमि के काम ना आए.
3- यदि कोई युवा मातृभूमि की सेवा नहीं करता है तो उसका जीवन व्यर्थ है.
4- मैं ऐसे धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है.
5- दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं और आजाद ही रहेंगे.
6- मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा घर जेल है.
चंद्रशेखर आजाद महज 15 साल की उम्र में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए. इस आंदोलन में पहली बार चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया गया था और थाने में बंद कर दिया गया था, जब 1922 में चौरी-चौरा कांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया तो इससे रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद और अशफाकउल्ला खान भड़क गए.
उसके बाद आजाद हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गए. आजाद और उनके साथियों ने 9 अगस्त 1925 को काकोरी कांड में सरकारी खजाना लूट लिया. मातृभूमि पर हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले चंद्रशेखर आजाद नहीं चाहते थे कि उनकी कोई भी तस्वीर अंग्रेजों के हाथ लेग, इसलिए उन्होंने अपनी सारी तस्वीरें नष्ट कर दी थी.