Chaitra Navratri 2020: चैत्र नवरात्रि में मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए क्या करें और क्या नहीं, जानें इसका महात्म्य

नौ दिनों तक चलने वाले चैत्र नवरात्रि में माता भगवती के नाम पर उपवास के साथ उपासना की जाती है. इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. इससे घर में सुख-शांति-समृद्धि बनी रहती है. लेकिन इस व्रत का सार्थक परिणाम तभी मिलता है जब हम नवरात्रि के व्रत एवं उपासना के सभी नियमों का पालन करते हैं.

मां दुर्गा (Photo Credits:Facebook)

Chaitra Navratri 2020: 25 मार्च को नव संवत्सर के साथ ही चैत्रीय नवरात्रि (Chaitra Navratri) भी शुरू होगी. यह काल वसंत ऋतु का होने के कारण इसे वासंती नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है. नौ दिनों तक चलने वाले इस नवरात्रि में माता भगवती (Maa Bhagwati) के नाम पर उपवास के साथ उपासना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन 9 दिनों मां शक्ति के 9 स्वरूपों (1. शैलपुत्री 2.ब्रह्मचारिणी 3. चंद्रघंटा 4. कुष्मांडा 5.स्कंदमाता 6.कात्यायनी 7. कालरात्रि 8. महागौरी 9. सिद्धिदात्री) की पूजा की जाती है, इससे घर में सुख-शांति-समृद्धि बनी रहती है, लेकिन इस व्रत का सार्थक परिणाम तभी मिलता है जब हम नवरात्रि (Navratri) के व्रत एवं उपासना के सभी नियमों का पालन करते हैं. आइये जानें इन नियमों के अनुसार आप क्या करें और क्या न करें.

अगर आपका बनता कार्य बार-बार बिगड़ रहा है तो इस चैत्रीय नवरात्रि के सभी नौ दिन माता भगवती की शंखपुष्पी यानि अपराजिता का फूल अर्पित कर बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करें. मान्यता है कि शंखपुष्पी का पुष्प माता भगवती को बहुत प्रिय है.

स्वयं पर नियंत्रण रखें

अगर आपने नौ दिन का उपवास रखा है तो पत्नी से दूरी बना कर रखें. ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करें. मां भगवती की पूजा-अर्चना शुद्ध एवं पवित्र मन से करें. दोनों वक्त पूजा अवश्य करें.

नारी का सम्मान करें

मां शक्ति स्वयं एक नारी हैं, इसलिए सदा नारी का सम्मान करने की कोशिश करें. देवी पुराण में उल्लेखित है कि मां भगवती उन्हीं की पूजा अर्चना स्वीकार करते हैं जो नारी का पूरा आदर-सम्मान करते हैं. ऐसे लोग जो नारी की इज्जत करते हैं, मां लक्ष्मी उनसे सदा प्रसन्न रहती हैं.

शांति और प्रेमपूर्वक व्यवहार करें

मां भगवती उसी पूजा को स्वीकारती हैं, जो शांति, श्रद्धा एवं प्रेम के साथ किया जाये. नवरात्रि के पूरे दिन घर में शांति का वातावरण बनाकर रखें. हर किसी के साथ प्रेम एवं सद्भाव का व्यवहार करें, तभी घर में लक्ष्मी का वास होता है. नवरात्रि के दिनों में घर में कलह, द्वेष और किसी का अपमान किये जाने पर घर में अशांति रहती है और बरकत नहीं होती.

ऐसा हरगिज ना करें

चैत्रीय नवरात्रि में अन्य नवरात्रियों की विशेष स्वच्छता का ज्यादा ध्यान रखा जाता है. नौ दिनों तक सूर्योदय के साथ ही स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए. नवरात्रि के एक दिन पहले से किचेन और मंदिर की अच्छे से सफाई करनी चाहिए. मंदिर में नये वस्त्र प्रयोग में लाएं. काले रंग के परिधान नहीं पहनें और ना ही चमड़े का बेल्ट पहनें. इन नौ दिनों तक बाल, दाढ़ी और नाखून भी नहीं कटवाने चाहिए.

मूक पशु-पक्षियों को परेशान नहीं करना चाहिए

नवरात्रि के दिन मूक और बेबस पशु-पक्षियों को परेशान नहीं करना चाहिएं. इनके लिए दाना पानी की व्यवस्था करें. गौरतलब है कि मां दुर्गा का वाहन भी एक पशु है. तंत्र-मंत्र अकसर गलत मकसदों के लिए किया जाता है. ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रहना चाहिए.

कलश स्थापना किया है तो घर में ताला नहीं लगाएं

अगर आपने घर में नवरात्रि के उपलक्ष्य में कलश की स्थापना की है तो यह मान लीजिये कि आपने देवी को घर पर आमंत्रित किया हुआ है. ऐसे में दोनों समय उनकी पूजा-आरती और नैवेद्य चढ़ाना न भूलें. साथ ही घर में पूरे नौ दिन में एक पल के लिए भी ताला नहीं लगाये. इसके अलावा बिस्तर पर नहीं सोकर जमीन पर सोना चाहिए.

घर आये अतिथि अथवा भिखारी का अपमान न करें

कहावत मशहूर है कि ना जाने किस भेष में बाबा आ जायें भगवान. इस बात को ध्यान में रखते हुए नौ दिन जब आप नवरात्रि का उपवास रखते हैं तो घर आये अतिथि से लेकर भिखारी तक का किसी का भी अपमान करने से बचें. बल्कि उन्हें आदर के साथ भोजन करा कर ही विदा करें. इससे माँ भगवती प्रसन्न होती हैं. यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2020: कब है चैत्रीय नवरात्रि? किस मुहूर्त में करें घट-स्थापना, जानें पूजा-विधि, महत्व एवं पौराणिक कथा

नवरात्रि में दिन में न सोयें

साल में कुछ दिवस विशेष पर ही आप अपने घर पर देवी-देवता को आमंत्रित करते हैं. ऐसे में आपको चाहिए कि दिन के वक्त सोकर समय गुजारने से बेहतर है ईश्वर पाठ करें. प्रातः स्नान-ध्यान कर अड़ोस-पड़ोस के साथ बैठकर कीर्तन रामायण-पाठ इत्यादि करें. आप चाहे तो दुर्गा सप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से विशेष फल प्राप्त होता है.

इन वस्तुओं के सेवन से बचें

किसी कारणवश अगर आप नवरात्रि का व्रत रखने में असमर्थ रहे हैं तो भी आपको नौ दिनों तक अपने खान-पान पर विशेष नियंत्रण रखना चाहिए. मांस-मछली-मदिरा का तो नाम भी न लें बल्कि लहसुन और प्याज का उपयोग भी आपको खाने में नहीं करना चाहिए. कोशिश करें कि सात्विक आहार ही ग्रहण करें..

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.

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