Bihu 2020: असम में रंगीनियां बिखेरने वाला पारंपरिक पर्व बिहु आज से शुरू, जानें साल में 3 बार मनाये जाने वाले इस पर्व का महत्व
भारत पर्वों का देश कहलाता है. ये पर्व हमारी अखंडता, भाईचारे और खुशियों के साथ-साथ हमारी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक भी होते हैं. ऐसा ही एक है असम में धूमधाम से मनाया जानेवाला रंगारंग पर्व ‘बिहु’.
Bihu 2020: भारत पर्वों का देश कहलाता है. ये पर्व हमारी अखंडता, भाईचारे और खुशियों के साथ-साथ हमारी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक भी होते हैं. ऐसा ही एक है असम (Assam) में धूमधाम से मनाया जानेवाला रंगारंग पर्व ‘बिहु’. किसान अपनी (रबी की) पहली फसल काटकर घर पर लाते हैं. महिलाएं अपने घरों के बाहर रंगोली सजाती हैं. लोग अपने ईष्ट देव शबराई को आमंत्रित करते हैं. ईश्वर से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. पर्व मनाने के बीच लोग अपने मित्रों-परिचितों को उपहार एवं मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं. इन दिनों असम में सबसे ज्यादा शादियां होती हैं. इस पर्व को विभिन्न स्वरूपों में असम के अलावा उड़ीसा, पंजाब, और दक्षिण भारत के तमिलनाडु एवं केरल में भी सेलीब्रेट किया जाता है.
क्या है महत्व
बैसाख मास के प्रारंभ होने और नए वर्ष की शुरूआत के साथ ही साल की पहली फसल की कटाई शुरू हो जाती है. इसके साथ ही असम में शुभ मुहूर्त पर शादी-ब्याह इत्यादि का सिलसिला शुरू होता है. इस पूरे सीजन में असम की रंगीनियां बस देखते बनती हैं. चूंकि यह मूलतः कृषि से जुड़ा पर्व है इसलिए इन दिनों खेत-खलिहानों की रौनक असम की एक अलग ही तस्वीर प्रस्तुत करती हैं.
ऐसे करते हैं सेलीब्रेट
बैसाख मास के साथ ही असम में नया वर्ष प्रारंभ हो जाता है. स्थानीयों के मुताबिक यह पर्व सात दिनों तक चलता है. ये सातों दिन अलग-अलग रीति और संस्कृति के साथ सेलीब्रेट किया जाता है. यहां के लोग इसे ‘बोहाग बिहू’ के नाम से भी संबोधित करते हैं. परंपरानुसार बिहु पर्व के पहले दिन गौ-पूजा होती है. लोग प्रातःकाल उठकर अपनी गायों को किसी नदी तट पर ले जाकर उसे कच्ची हल्दी और कलई दाल का उबटन लगा कर स्नान करवाते हैं. गाय को मच्छ- मक्खी परेशान नहीं करें इसके लिए जड़ी-बूटी युक्त झाड़ियां जलाकर धुआं दिखाते हैं. इस दिन गायों को नयी रस्सियों में बांधने और दही-चिउड़ा खिलाने का विशेष रिवाज होता है. इस अवसर पर असम के विभिन्न अंचलों में तमाम तरह के लोक संगीत (ढोल, बांसुरी, पेपा, ताल की थाप पर) की धुन पर बिहु नृत्य का आयोजन होता है, जिसमें रंग-बिरंगे परिधान पहनकर युवक-युवतियां थिरकते हैं. इस दिन साग एवं हरी सब्जियां विशेष रूप से खायी जाती हैं.
शादी-ब्याह की होती है शुरूआत
इस पर्व की जो सबसे खास बात होती है वह यह कि इस दिन युवतियां अपनी पसंद के अनुरूप स्वेच्छा से अपने जीवन साथी का चुनाव करती हैं और फिर एक शुभ मुहूर्त पर उनकी पारंपरिक ढंग से शादी करवा दी जाती है. इसीलिए इसे बिहू को वैवाहिक पर्व के रूप में भी जाना जाता है. असम में सर्वाधिक शादियां इसी माह सम्पन्न होती हैं.
साल में तीन बार सेलीब्रेट करते हैं बिहू पर्व
असम में बिहु पर्व अलग-अलग नामों से साल में तीन बार मनाते हैं. उदाहरण के लिए अप्रैल में यह पर्व रोंगाली और बोहाग के नाम से, अक्टूबर में कंगाली और काती के नाम से, तथा जनवरी में भोगाली और माघ बिहू के नाम से सेलीब्रेट करते हैं.