पांच दिवसीय दिवाली का समापन भाई दूज के साथ होता है. प्रत्येक वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. इसे भाऊ बीज, भाई दूज, भातृ द्वितीया, भतरू द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्व रक्षा-बंधन की तरह भाई-बहन के स्नेहिल रिश्तों को दर्शाता है. फर्क इतना है कि रक्षा-बंधन पर बहन भाई की कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधकर उनके दीर्घायु की कामना करती हैं, जबकि भाई दूज पर भाई के स्वस्थ एवं दीर्घायु हेतु उनके मस्तक पर तिलक लगाती हैं. यह पर्व यम और बहन यमुना से जुड़ा है, इसलिए इसे यम द्वितीया नाम से भी मनाया जाता है. इस वर्ष भाई दूज की तिथि को लेकर दुविधा है कि यह 14 नवंबर को मनाया जाएगा या 15 नवंबर 2023 को. आइये जानते हैं इस भाई दूज की मूल तिथि एवं तिलक लगाने के मुहूर्त के संदर्भ में आचार्य भागवत क्या कहते हैं. यह भी पढ़ें: Dhanteras 2023 Shubh Muhurat: धनतेरस पर इस मुहूर्त में करें खरीदारी! इसी दिन लग रहे विष्कुंभ काल की गई खरीदारी हानिकारक है! जानें विस्तार से!
कब मनाया जाएगा भाई दूज 14 या 15 नवंबर को?
आचार्य भागवत के अनुसार अकसर हिंदी तिथियों में सूर्योदय अथवा संध्याकाल (प्रदोष काल) में देवी-देवताओं की पूजा होती है. प्रदोष काल में संध्याकाल की तिथि को माना जाता है और दिन में होने वाली पूजा सूर्योदय (उदय काल) के अनुसार किया जाता है. इस बार भाई दूज पर शोभन योग का निर्माण हो रहा है, जिसे काफी शुभ काल माना जाता है.
भाई दूज शुभ तिथि एवं तिलक लगाने के शुभ मुहूर्त
कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया प्रारंभः 02.36 PM (14 नवंबर 2023)
कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया समाप्तः 01.47 PM (15 नवंबर 2023)
इस तरह उदया तिथि के अनुसार 15 नवंबर 2023 को भाई दूज का पर्व मनाया जायेगा. लेकिन अगर कोई 14 नवंबर 2023 को भाई दूज मनाना चाहता है, तो उसे निम्नलिखित मुहूर्त काल में भाई दूज मनाना चाहिए.
* 14 अक्टूबर 2023- भाई दूज पर तिलक का मुहूर्तः 01.10 PM से 03:19 PM
(कुल अवधिः 02 घंटे 09 मिनट)
* 15 अक्टूबर 2023- भाई दूज पर तिलक का मुहूर्तः 10.40 AM से 11.59 AM
(कुल अवधिः 01 घंटे 19 मिनट)
भाई को तिलक लगाने की विधि
आप उदया तिथि के अनुसार भाई दूज मना रहे हैं, तो 15 नवंबर 2023 को सुबह स्नान कर नए वस्त्र धारण करें. इस दिन तिलक का शुभ मुहूर्त सुबह 10.40 से 11.59 बजे तक है, इसलिए मुहूर्त अनुसार बहनों को पूर्व तैयारी कर लेनी चाहिए. एक चौकी पर आसन बिछाकर भाई को बिठाएं. उसके सर पर रूमाल रखें, पीतल की थाली में पहले से रखे नारियल, फल, फूल, सुपारी, काले चने एवं मिठाई भाई के हाथों देकर रोली अक्षत का तिलक लगाते हुए निम्नलिखित कामना करें.
गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े
उसकी आरती उतारें. अब भाई को बहन की पसंद को ध्यान में रखकर उपहार देना चाहिए, साथ ही बहन की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए. 14 नवंबर के मुहूर्त पर भी तिलक लगाने की प्रक्रिया की जा सकती है.