Shaheed Diwas 2023 Quotes: शहीद दिवस पर Bhagat Singh द्वारा कहे इन कोट्स को भेजकर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को करें याद
Ramzan Mubarak 2023 (Photo Credit- File Image)

Bhagat Singh Quotes in Hindi: भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में सबसे महत्वपूर्ण क्रांतिकारियों में से एक भगत सिंह हैं. 28 सितंबर, 1907 को किशन सिंह और विद्यावती ने बंगा, लायलपुर जिले (अब पाकिस्तान) में भगत सिंह को जन्म दिया. जब उनका जन्म हुआ, उनके चाचा अजीत और स्वर्ण सिंह, साथ ही उनके पिता किशन सिंह, सभी को 1906 के औपनिवेशीकरण विधेयक का विरोध करने के लिए जेल में डाल दिया गया था. भगत सिंह राजनीतिक रूप से जागरूक परिवार में पले-बढ़े, जहां उनके परिवार ने गदर पार्टी का समर्थन किया, यहीं से युवा भगत सिंह में देशभक्ति की भावना विकसित हुई. यह भी पढ़ें: Shaheed Diwas : 23 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस? क्या वाकई ब्रिटिश अधिकारी क्रांतिकारियों से खौफ खाते थे? आखिर क्या था माजरा?

भगत सिंह ने बहुत कम उम्र में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन का समर्थन करना शुरू कर दिया था. भगत सिंह ने खुले तौर पर अंग्रेजों का विरोध किया और सरकार द्वारा प्रायोजित प्रकाशनों में आग लगाकर गांधी के अनुरोध को पूरा किया. वास्तव में, उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज में दाखिला लेने के लिए पूरी तरह से स्कूल छोड़ दिया. 1919 का जलियांवाला बाग हत्याकांड और 1921 में ननकाना साहिब में निहत्थे अकाली प्रदर्शनकारियों की हत्या दोनों तब हुई जब वह किशोर थे, और दोनों घटनाओं ने उनके देशभक्ति के दृष्टिकोण को दृढ़ता से प्रभावित किया. आज शहीद दिवस पर हम ले आए हैं भगत सिंह द्वारा देश की शान में कहे गए कुछ कोट्स, जिन्हें आप शेयर कर भगत सिंह (Bhagat Singh) शिवराम राजगुरु (Shivram RajGuru) और सुखदेव थापर (Sukhdev Thaper) की शहादत को याद कर सकते हैं.

1. सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,

देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए-कातिल में है.

– भगत सिंह

2. राख का हर एक कण,

मेरी गर्मी से गतिमान है.

मैं एक ऐसा पागल हूं,

जो जेल में भी आजाद है.

– भगत सिंह

3. जो भी व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है,

उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी,

उसमें अविश्वास करना होगा, तथा उसे चुनौती देनी होगी.

– भगत सिंह

4. “बम और पिस्तौल क्रांति नहीं करते. क्रांति की तलवार विचारों के पत्थर पर तेज होती है.” – भगत सिंह

5. “वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते. वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को कुचलने में सक्षम नहीं होंगे.

23 मार्च, 1931 को सुबह 7:30 बजे भगत सिंह और उनके मित्र राजगुरु और सुखदेव को लाहौर जेल में फांसी दे दी गई. उन्होंने कथित तौर पर "इंकलाब जिंदाबाद" और "ब्रिटिश साम्राज्यवाद मुर्दाबाद" जैसे अपने पसंदीदा नारे लगाए, फांसी से पहले वे खुशी-खुशी फांसी के स्थल तक नारे लगाकर जा रहे थे. सतलुज नदी के तट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया.