अनंत चतुर्दशी 2018: जानें गणपति बप्पा के विसर्जन का शुभ मुहूर्त और विधि
इस साल गणेश चतुर्थी का पर्व 13 सितंबर को शुरू हुआ था और इसकी समाप्ति 23 सितंबर को गणपति विसर्जन के साथ होगी. विघ्नहर्ता भगवान गणेश की प्रतिमा की पूरे 10 दिन तक विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने के बाद 11वें दिन उनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.
हर साल गणेशोत्सव का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव की शुरुआत भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी से शुरू होता है और अनंत चतुर्दशी को इस उत्सव का समापन होता है. इस साल गणेश चतुर्थी का पर्व 13 सितंबर को शुरू हुआ था और इसकी समाप्ति 23 सितंबर को गणपति विसर्जन के साथ होगी. दरअसल, विघ्नहर्ता भगवान गणेश की प्रतिमा की पूरे 10 दिन तक विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने के बाद 11वें दिन उनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.
मान्यता है कि हर साल दस दिनों के लिए भगवान गणेश अपने भक्तों के बीच उनकी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए आते हैं. गणेशोत्सव के दौरान भक्त भी अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए मोदक-लड्डू का भोग लगाते हैं, उन्हें पीले वस्त्र चढ़ाते हैं और उनकी पसंद की हर चीज अर्पित करते हैं. चलिए जानते हैं अनंत चतुर्दशी पर गणपति बप्पा के विसर्जन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त (23 सितंबर 2018)
- पहला मुहूर्त- सुबह 8.00 बजे से दोपहर 12-30 बजे तक.
- दूसरा मुहूर्त- दोपहर 2.00 बजे से 3.30 बजे तक.
- तीसरा मुहूर्त- शाम 6.30 बजे से रात 11.00 बजे तक.
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ऐसे करें गणेश विसर्जन की तैयारी
अनंत चतुर्दशी यानी विसर्जन वाले दिन पहले दिन की तरह ही भगवान गणेश की पूजा करें. उन्हें ताजा फूलों की माला, ताजे फूल और फल अर्पित करें. इसके साथ ही पूजा में पान का पत्ता, सुपारी, लौंग चढ़ाएं और परिवार के साथ उनकी आरती करें.
गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करने के लिए एक साफ-सुथरा पाटा लें और उस पर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध करें. शुद्धिकरण के बाद उस पर स्वास्तिक बनाएं, स्वास्तिक का चिन्ह घर की महिला को ही बनाना चाहिए. अब उस पर एक पीला, गुलाबी या लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर अक्षत रखें. कपड़े पर गुलाब सहित दूसरे फूल बिछाएं और पाटे के चारों कोनों पर चार सुपारी रखें.
पाटे को सजाने के बाद अब भगवान गणेश की प्रतिमा को इस पाटे पर स्थापित करें. फिर फूल, फल, वस्त्र, दक्षिणा, 5 मोदक आदि रखें और गणपति का जयकारा लगाएं. उनकी विदाई के समय वो सारे सामान रखें, जिसकी जरूरत विसर्जन यात्रा के दौरान पड़ सकती है. अब नाचते-गाते, अबीर उड़ाते हुए इस विसर्जन यात्रा की शुरुआत करें और अगले साल फिर से भक्तों के बीच जल्दी आने की बप्पा से प्रार्थना करें.
नदी या समुद्र के पास पहुंचने के बाद विसर्जन से पहले एक बार फिर गणेश जी की आरती करें और उनसे अपनी मन्नत मांगे. इसके साथ ही जाने-अंजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना भी करें. विसर्जन के दौरान इस बात का खास ख्याल रखें कि गणेश जी की प्रतिमा को पानी में फेंका नहीं जाता, बल्कि बड़े ही आदर और श्रद्धा के साथ उन्हें धीरे-धीरे पानी में विसर्जित किया जाता है.