क्या आप जानते हैं कि कुछ दवाओं की स्ट्रिप्स पर लाल पट्टी क्यों होती है? जानें यह डिजाइन है या कोई संकेत!
अपनी छोटी-बड़ी बीमारियों के निदान के लिए अकसर हम दवाइयां लेते हैं, कभी कैप्सूल तो कभी टैबलेट या सिरप इत्यादि. लेकिन क्या आपने कभी देखा या जानने की कोशिश की है कि कुछ दवाओं पर लाल रंग की पट्टियां (strips) क्यों प्रिंट होती हैं. हम अक्सर इन बातों को नजरअंदाज कर जाते हैं. हमें नहीं पता होता कि ये लाल रंग की पट्टियां महज डिजाइन का हिस्सा होती हैं, अथवा इसके पीछे कोई राज या संदेश भी छिपा होता है.
अपनी छोटी-बड़ी बीमारियों के निदान के लिए अकसर हम दवाइयां लेते हैं, कभी कैप्सूल तो कभी टैबलेट या सिरप इत्यादि. लेकिन क्या आपने कभी देखा या जानने की कोशिश की है कि कुछ दवाओं पर लाल रंग की पट्टियां (strips) क्यों प्रिंट होती हैं. हम अक्सर इन बातों को नजरअंदाज कर जाते हैं. हमें नहीं पता होता कि ये लाल रंग की पट्टियां महज डिजाइन का हिस्सा होती हैं, अथवा इसके पीछे कोई राज या संदेश भी छिपा होता है. आज इस छोटी-सी बात के पीछे छिपे बड़े कारण को जानने की कोशिश करेंगे.
ये लाल स्ट्रिप्स
कुछ दवाओं की पत्तियों (strips) पर लाल रंग के निशान या लाल रंग की पट्टी कुछ विशेष कारणों से बनी होती है. इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता और फार्मासिस्ट दोनों को सतर्क करना होता है. दवा की पत्तियों पर बनी यह लाल रंग की पट्टी यह दर्शाती है कि यह ‘Schedule H’ या ‘Schedule H1’ के तहत आने वाली दवा है. ये ऐसी दवाएं होती हैं जो डॉक्टर की पर्ची (Prescription) के बिना कोई भी केमिस्ट नहीं बेच सकता. इनका गलत या अधिक उपयोग करने से स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता है. ऐसी कुछ दवाएं यह भी पढ़ें : Sripuram Mahalaxmi Temple: 15 हजार किलोग्राम सोने से बना है तमिलनाडु का श्रीपुरम महालक्ष्मी मंदिर, दीपावली पर होती है खास पूजा
नशे की लत (Addiction) पैदा कर सकती हैं.
Schedule H और H1 क्या हैं?
हमारे देश में Drugs and Cosmetics Act के तहत दवाओं को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है. Schedule H की दवाएं केमिस्ट केवल डॉक्टर की पर्ची देखकर ही देता है. Schedule H1 अधिक नियंत्रण वाली दवाएं होती हैं. फार्मासिस्ट को इन दवाओं की बिक्री का रिकॉर्ड रखना आवश्यक होता है.
क्या कहती हैं स्ट्रिप्स की ये लाल लाइनें
यह सावधानी का संकेत होता है, इसलिए इसका रंग लाल होता है. यह उपभोक्ताओं को बताता है कि यह सामान्य दवा नहीं है. इसके गलत या अत्यधिक उपयोग घातक परिणाम दे सकता है.
उदाहरणार्थ एंटीबायोटिक्स (जैसे सिप्रोफ्लोक्सासिन, एज़िथ्रोमाइसिन)
नींद की दवाएं (जैसे ज़ोल्पिडेम)
मनोवैज्ञानिक रोगों की लगभग अधिकांश दवाएं
कुछ दर्द निवारक (narcotic) दवाएं, इत्यादि
विशेषः ऐसी दवाएं किसी के कहने पर ना लें, बेहतर होगा कि इनका सेवन करने से पूर्व आप अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर कर लें. जहां तक केमिस्ट की बात है, तो वह ऐसी दवाएं आपको बिना प्रिस्क्रिप्शन के नहीं देगा.
एंटीबायोटिक्स
लाल लाइन कुछ एंटीबायोटिक्स पर भी पाई जाती है. इसका मुख्य कारण है एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस के जोखिम को कम करना. कुछ लोग बुखार या जुकाम जैसे इन्फेक्शन में भी डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक्स खरीद लेते हैं. या डॉक्टर द्वारा निर्देशित कोर्स पूरा नहीं करते, अथवा इनका गलत इस्तेमाल करने से शरीर के अंदर के बैक्टीरिया पूरी तरह खत्म नहीं होते, जो बचते हैं, वे उस एंटीबायोटिक के खिलाफ रेजिस्टेंट बन जाते हैं. समय के साथ, ये रेजिस्टेंट बैक्टीरिया और मजबूत होकर 'सुपरबग्स' का रूप ले लेते हैं. इसके बाद, साधारण एंटीबायोटिक्स उन इन्फेक्शन पर ये निष्क्रिय हो जाते हैं, जिससे इलाज मुश्किल हो जाता है. कभी-कभी मरीज के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है.