Devshayani Ekadashi 2021 Messages in Hindi: आज भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के भक्तों के लिए बेहद खास दिन है, क्योंकि आज (20 जुलाई 2021) देवशयनी एकादशी मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी मनाई जाती है, जिसे हरिशयनी एकादशी (Harishayani Ekadashi), आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi) और पद्मनाभा एकादशी (Padmnabha Ekadashi) जैसे नामों से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए गहन निद्रा में चले जाते हैं. इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है और इसी एकादशी से अगले चार महीने यानी देवप्रबोधिनी या देवउठनी एकादशी तक सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है. इस अवधि के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है और देवशयनी एकादशी से चातुर्मास आरंभ होता है, इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है. देवशयनी एकादशी के इस बेहद खास और अति पावन अवसर पर आप इन भक्तिमय मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस को भेजकर अपने दोस्तों-रिश्तेदारों और करीबियों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
देवशयनी एकादशी की शुभकामनाएं.
2- देवशयनी एकादशी के पावन अवसर पर,
भगवान विष्णु आपके सभी पापों का नाश करें.
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:
देवशयनी एकादशी की शुभकामनाएं.
3- ताल बजे और बजे मृदंगा,
बजे श्रीहरि की वीणा,
करें विष्णु की जय-जयकार,
आषाढ़ी एकादशी पर करें उनके गुणगान.
देवशयनी एकादशी की शुभकामनाएं.
4- विष्णु जिनका नाम हो,
वैकुंठ जिनका धाम हो,
देवशयनी एकादशी के शुभ अवसर पर,
श्रीहरि को शत-शत प्रणाम,
देवशयनी एकादशी की शुभकामनाएं
5- हर घर के आंगन में तुलसी,
तुलसी बड़ी महान है,
जिस घर में ये तुलसी रहती,
वो घर स्वर्ग समान है.
देवशयनी एकादशी की शुभकामनाएं.
इस एकादशी से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार शंखचूड़ नामक राक्षस से भगवान विष्णु का काफी लंबे समय तक युद्ध चला और आखिर में उस असुर का अंत हुआ. हालांकि युद्ध करते-करते भगवान विष्णु थक गए, इसलिए वो भगवान शिव को सृष्टि के पालन का कार्य सौंपकर योगनिद्रा के लिए चले गए. कहा जाता है कि चातुर्मास यानी देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं. देवउठनी एकादशी को योगनिद्रा से जागने के बाद भगवान विष्णु फिर से सृष्टि का कार्यभार संभाल लेते हैं.