Deepawali & Vastu Tips: किस दिशा में करें लक्ष्मी-गणेश-स्थापना और पूजन करें कि वे प्रसन्न हों? जानें क्या हैं वास्तु-नियम?

लक्ष्मी-पूजन के दिन करीब आ गये हैं, यह अलग बात है कि अभी तक विद्वान इस प्रश्न पर एकमत पर सहमत नहीं हुए हैं कि दीपावली की लक्ष्मी पूजा 31 अक्टूबर को करना है या 1 नवंबर 2024 को? हालांकि उनका यह भी मानना है कि जिस दिन अधिकाशं लोग लक्ष्मी पूजा करेंगे, वही फाइनल दिन होगा.

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लक्ष्मी-पूजन के दिन करीब आ गये हैं, यह अलग बात है कि अभी तक विद्वान इस प्रश्न पर एकमत पर सहमत नहीं हुए हैं कि दीपावली की लक्ष्मी पूजा 31 अक्टूबर को करना है या 1 नवंबर 2024 को? हालांकि उनका यह भी मानना है कि जिस दिन अधिकाशं लोग लक्ष्मी पूजा करेंगे, वही फाइनल दिन होगा. अब लक्ष्मी पूजा 31 अक्टूबर को हो या 1 नवंबर को, यह अपने विवेक पर निर्भर करेगा. अब सवाल उठता है कि किस दिशा में देवी लक्ष्मी की पूजा की जाए कि वे प्रसन्न हों, और अपने जातक की आर्थिक स्थिति को उन्नतशील बनाएं, उनकी दरिद्रता खत्म हो. ज्योतिषाचार्य श्री भगवत जी महाराज यहां बता रहे हैं कि इस वर्ष माता लक्ष्मी एवं गणेश जी की मूर्ति किसी दिशा में हो, तथा जातक किस दिशा में बैठकर पूजा करे.

ऐसे सजाएं माता लक्ष्मी की चौकी

पांच दिवसीय दीपावली पूजा का केंद्र बिंदु देवी लक्ष्मी हैं. कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या की रात शुभ मुहूर्त में पूजा का विधान है. पूजा के विधि-विधान में सर्वप्रथम जरूरी होता है कि लक्ष्मी-गणेश की चौकी किस दिशा में रखें और चौकी का कैसे श्रृंगार करें. आचार्य भगवत जी बताते हैं कि मां लक्ष्मी की चौकी उत्तर या पूर्व दिशा में रखें और जातक का मुंह पश्चिम दिशा में होना शुभ माना जाता है. मूर्ति स्थापना से पूर्व चौकी को स्वच्छ कर लें. इस पर नया लाल वस्त्र बिछाएं. वस्त्र पर हल्दी से स्वास्तिक बनाकर इस मंत्र के उच्चारण के साथ प्रतिमा स्थापित करें. यह भी पढ़ें : Hanuman Jayanti 2024 Messages: हैप्पी हनुमान जयंती! प्रियजनों संग शेयर करें ये हिंदी WhatsApp Wishes, Quotes, GIF Greetings और Photo SMS

‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः’

ऐसी हो प्रतिमा

लक्ष्मी-गणेश जी की प्रतिमा लेते समय कुछ बातों का ध्यान रहे. सर्वप्रथम मूर्ति खंडित अथाव विकृत नहीं हो और ना ही खंडित मूर्ति को जोड़ी गई हो. मूर्ति सोना, चांदी अथवा मिट्टी की बनी होनी चाहिए. देवी लक्ष्मी कमल पर आसीन हों और उनका एक हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में हो. इस दिन लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा का भी विधान है. गणेश जी की सूंड बाईं दिशा में मुड़ी होनी चाहिए. मूर्ति स्थापित करते समय गणेश जी को बाई और लक्ष्मी जी को दाईं ओर रखें. मूर्ति के आस-पास अच्छे प्रकाश का प्रबंध करें, जैसे दीपक या रंग-बिरंगी लाइटें, ताकि वातावरण उत्सवमय लगे. मूर्ति स्थापित करते समय देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की जय जयकारा जरूर करें. संभव हो तो पूरे समय कीर्तन एवं भजन बजते रहना चाहिए.

लक्ष्मी पूजा के नियम

* लक्ष्मी पूजा में मां लक्ष्मी का ध्यान कर उनका आह्वान मंत्र पढ़ें.

* मां लक्ष्मी को पहले गंगाजल फिर पंचामृत से स्नान कराएं.

* लक्ष्मी जी को रोली और अक्षत से तिलक करें.

* पूजा के दौरान लक्ष्मी मंत्रों का जाप जरूर करें.

* पूजा के अंत में लक्ष्मी जी की आरती उतारें.

* पूजन के पश्चात पूजा सामग्री एवं प्रसाद तुरंत नहीं उठाना चाहिए.

* दिवाली के अगले दिन ही मूर्ति एवं पूजा के सामान को हटाएं.

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