Chandra Grahan 2021: साल 2021 का अंतिम चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) में बस कुछ समय शेष बचे हैं. हिंदू धर्म के अनुसार ग्रहणकाल में किसी भी प्रकार के शुभ मंगल कार्य प्रतिबंधित होते हैं, और ग्रहण समाप्ति तक घर के भीतर ही रहने की हिदायत हमारे ज्योतिष शास्त्री देते हैं. यहाँ प्रयागराज के ज्योतिष शास्त्री पं. शंभुनाथ त्रिपाठी बता रहे हैं कि साल का यह अंतिम चंद्रग्रहण भारत में कब और कहाँ-कहाँ लगने वाला है, तथा क्या इस ग्रहण में सूतक काल मान्य होगा? अगर हां तो हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
कार्तिक मास शुक्लपक्ष की पूर्णिमा यानी 19 नवंबर, शुक्रवार 2021 को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण आंशिक चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत के असम और अरुणाचल प्रदेश में कुछ समय के लिए दिखेगा. इसके अलावा यह अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में पूरी तरह से देखा जा सकेगा. पं. शंभुनाथ के अनुसार ये चंद्र ग्रहण वृष राशि और कृत्तिका नक्षत्र में लगेगा, इसलिए वृष राशि वालों के लिए यह काल आंशिक रूप से समस्या उत्पन्न कर सकती है.
चंद्र ग्रहण (19 नवम्बर 2021) का समय (भारतीय समयानुसार)
चंद्र ग्रहण प्रारंभ 11.34 AM
चंद्र ग्रहण समाप्त: 05.33 PM
खगोल शास्त्रियों के अनुसार इतना लंबा चंद्र ग्रहण लगभग 580 साल बाद लग रहा है.
क्या करें क्या ना करें
पं. शंभुनाथ के अनुसार भारत में आंशिक ग्रहण होने के कारण सूतक मान्य नही होगा, लेकिन इसके बावजूद हिंदू धर्म के नियमों के अनुसार ग्रहण के कुछ नियमों के अनुसार ग्रहण काल कुछ बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है. मसलन… यह भी पढ़ें :Chandra Grahan 2021: आज दोपहर से लग रहा है साल का पहला चंद्रग्रहण! जानें क्या ये सूतकमान्य होगा?
ये कार्य ना करें
* सूतक काल में खाना बनाने अथवा चूल्हा जलाने से मनाही है.
* इस दरम्यान भगवान की प्रतिमाओं अथवा उनकी तस्वीरों को स्पर्श नही करना चाहिए.
* ग्रहण मानकों के अनुसार ग्रहण के दरम्यान ना पूजा-पाठ करना चाहिए, और ना ही ईश्वर से मन्नत मांगना चाहिए.
* ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और ना ही चाकू एवं कैंची जैसी धारदार हथियार हाथ में लेना चाहिए.
ये अवश्य कार्य -
* चंद्र ग्रहण के दौरान भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए.
* इस दौरान श्रद्धालु राहु-केतु से संबंधित मंत्रों का जाप कर सकते हैं, क्योंकि मान्यता है कि चंद्र को ग्रहण राहु-केतु के कारण लगता है.
* ग्रहण काल में हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, विष्ण सहस्त्रनाम, श्रीमदभागवत गीता आदि का पाठ करने से राहु केतु का प्रभाव कमजोर होता है.