हिंदू पंचांग के अनुसार आज 22 मार्च 2023, बुधवार से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है. शरद नवरात्रि की तरह चैत्र नवरात्रि में भी माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाती है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा का विधान है. नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा से पूर्व शुभ मुहूर्त पर कलश स्थापना एवं अखंड दीप प्रज्वलित करते हैं. कुछ लोग पूरे नौ दिन उपवास रखते हैं तो कुछ लोग प्रतिपदा और अष्टमी यानी चढ़ते-उतरते दिन उपवास रखते हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार प्रतिपदा के दिन माँ भगवती की उपासना करने से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. आइये जानें इस दिन शैलपुत्री की पूजा एवं व्रत के क्या नियम हैं.
कलश स्थापना मुहूर्त!
नवरात्रि पर अधिकांश घरों में कलश स्थापना की जाती है. विभिन्न पंचांगों के अनुसार कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त प्रातःकाल 06.14 AM से 07.55 AM तक रहेगा. यानी 1 घंटे 41 मिनट के भीतर कलश स्थापना के साथ-साथ माँ शैलपुत्री की पूजा कर लेनी चाहिए. चूंकि चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है, जो प्रातः 07.48 AM (22 मार्च 2023) से 04.40 AM (23 मार्च 2023) तक रहेगा, इसलिए इस दिन का महत्व बढ़ जाता है. यह भी पढ़ें : Chaitra Navratri 2023 Wishes: हैप्पी चैत्र नवरात्रि! प्रियजनों संग शेयर ये हिंदी WhatsApp Messages, Facebook Greetings और Quotes
ऐसे करें माँ शैलपुत्री की पूजा!
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि जातक शुभ मुहूर्त में ही कलश स्थापना करें. लेकिन इससे पूर्व गणेश जी का आह्वान मंत्र के साथ उनकी पूजा करें. अब मां दुर्गा की उपासना करें. माँ शैलपुत्री का ध्यान कर निम्न लिखित वैदिक मंत्रोच्चारण एवं स्त्रोत्र का जाप करते हुए पूजा करें.
बीज मंत्र- ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।।
प्रार्थना- वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
स्तुति- या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
मां शालिपुत्री स्तोत्र
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागरः तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्।।
त्रिलोजननी त्वंहि परमानन्द प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्।।
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह विनाशिनीं।
मुक्ति भुक्ति दायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्।।
माँ शैलपुत्री को धूप-दीप प्रज्वलित करें. गाय के घी से बनें प्रसाद का चढ़ाएं. गौरतलब है कि माँ शैलपुत्री की पूजा के समय माँ शैलपुत्री की पूजा के समय व्रती को गुलाबी, लाल, रानी या नारंगी रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए.
नवरात्रि पर करें ये उपाय पायें माँ दुर्गा का विशेष आशीर्वाद!
* नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन एक लोटे में जल भरकर पूर्व या उत्तर दिशा में रखे. इसमें पीला या लाल रंग का फूल डालें. ऐसा करने से व्यवसायिक उन्नति होती है.
* नवरात्रि के दिन मुख्य द्वार पर उत्तर या पूर्व दिशा में 'ॐ' का चिह्न बनाएं. ऐसा करने से घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है.
* प्रतिपदा के दिन शैलपुत्री की पूजा से पूर्व घर के मुख्य द्वार पर लक्ष्मी जी के चरण-चिह्न लगाकर इस पर रोली का टीका करें. अब पूरे नौ दिनों तक इसकी पूजा करें, इससे आर्थिक समस्याएं खत्म होती हैं और आय के नये स्त्रोत खुलते हैं.