Chaitra Navratri 2021: माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों को उनके प्रिय फूल अर्पित करने से विशिष्ठ फलों की प्राप्ति होती है! जानें किस देवी को कौन सा फूल प्रिय है?

आखिर देवी देवताओं को फूल क्यों चढ़ाये जाते हैं'? यह सवाल गाहे-बगाहे हर भक्त के जेहन में भी कौंधता होगा. लेकिन जवाब शायद ही किसी के पास होगा, क्योंकि देवी-देवताओं को फूल चढ़ाने की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है, हम उसी परंपरा का निर्वाह करते आ रहे हैं.

दुर्गा पूजा 2021 (Photo Credits: File Image)

चैत्र नवरात्रि 2021:'आखिर देवी देवताओं को फूल क्यों चढ़ाये जाते हैं'? यह सवाल गाहे-बगाहे हर भक्त के जेहन में भी कौंधता होगा. लेकिन जवाब शायद ही किसी के पास होगा, क्योंकि देवी-देवताओं को फूल चढ़ाने की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है, हम उसी परंपरा का निर्वाह करते आ रहे हैं. लेकिन ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में इस सवाल का जवाब है. आइये जानें किसी फूल (flower) विशेष का देवी-देवताओं से क्या संबंध है, तथा नवरात्र में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों में किसे कौन सा फूल पसंद है.

फूलों का देवी-देवताओं से क्या संबंध है?

फूलों का अधिकांश उपयोग देवी-देवताओं को चढ़ाने के लिए क्या जाता है, या फिर किसी अपनों को फूलों के गुलदस्ते भेंट किया जाता है. गौरतलब है कि फूलों का फलता-फूलता व्यवसाय देश की आर्थिक व्यवस्था को सुचारु करने में बहुत बड़ी भूमिका भी निभाता है. यहां हम बात करेंगे कि किसी देवी या देवता को फूल क्यों अर्पित किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब फूल किसी देवी-देवता की मूर्ति पर चढ़ाये जाते हैं तो उससे अमुक मूर्ति को जागृत करने में मदद मिलती है. इससे मूर्ति के चैतन्य का लाभ भक्तों को प्राप्त होता है, लेकिन कुछ विशेष फूल ही देवी या देवता के पवित्रक यानी अमुक देवी या देवता के अति सूक्ष्म कण को आकर्षित करते हैं, हर फूल में यह क्षमता नहीं होती.

अब जानेंगे कि किसी देवी देवता को कौन सा विशेष फूल ज्यादा प्रभावशाली होता है.

चैत्र मास की नवरात्रि (Navratri) कलश-स्थापना के साथ शुरु हो चुकी है. इन दिनों मंदिरों में माता का फूलों से श्रृंगार किया जाता है. इस तरह भक्त अपनी भक्ति, साधना और सच्ची आस्था से देवी माँ को प्रसन्न करने की कोशिश करता है. मां उसे सुख-शांति-समृद्धि के साथ निरोगता आदि का वरदान देती हैं. यहां देखने वाली बात यह है कि मां दुर्गा की नौ शक्तियों की पूजा यूं तो नौ दिनों तक एक ही विधि-विधान से की जाती है, लेकिन इन नौ दिनों तक प्रत्येक देवी को जो पुष्प अर्पित किया जाता है, वे उनकी पसंद के अनुरुप चढ़ाये जाते हैं. आइये जानें प्रथम दिन से नौवें दिन तक किसी देवी को कौन सा फूल अर्पित किया जाता है, और उससे क्या लाभ प्राप्त होते हैं.

लाल गुड़हल

मान्यता है कि लाल रंग का गुड़हल का फूल देवी को अर्पित किया जाता है. नवरात्र के पहले दिन जब हम शैलपुत्री की पूजा करते हैं तो उनके सामने शुद्ध घी का दीपक जलाने के बाद लाल रंग का गुड़हल का फूल चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि पर्वतराज हिमालय की बेटी शैलपुत्री को लाल गुड़हल का फूल चढ़ाने पर प्रसन्न होकर वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं. यह भो पढ़ें : Chaitra Navratri 2021 Hindi Wishes: देश में चैत्र नवरात्रि की धूम! अपनों संग शेयर करें ये शानदार WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Messages और HD Images

लाल कमल का फूल

नवरात्र के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. इस दिन मां ब्रह्मचारिणी को लाल रोली के साथ लाल कमल का फूल चढ़ाया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माँ ब्रह्मचारिणी लाल कमल के पुष्प चढ़ाने से बहुत प्रसन्न होती है, और भक्तों की मनोकामनाओं को पूरी करती हैं.

पीले गुलाब का फूल

नवरात्र के तीसरे दिन, देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा का विधान है. इस दिन मां चंद्रघंटा का अनुष्ठान करते समय दूग्ध निर्मित मिष्ठान के साथ पीले गुलाब का फूल अर्पित किया जाता है. इससे माँ प्रसन्न होती हैं.

सफेद चमेली का फूल

शास्त्रों के अनुसार चैत्रीय नवरात्र के चौथे दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप शक्ति की पूजा-अनुष्ठान किया जाता है. मान्यता है कि देवी कुष्मांडा को सफेद चमेली खुशबू वाला फूल बहुत प्रिय है. कहते हैं कि चमेली का फूल अर्पित करने माँ कुष्मांडा प्रसन्न होकर बल, बुद्धि, शक्ति का आशीर्वाद देती हैं.

पीले रंग का फूल

नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता माता की पूजा होती है. इस दिन उन्हें पीला फल, पीले रंग के मिष्ठान के साथ पीले रंग का पुष्प चढ़ाया जाता है. पीले रंग का कोई भी फूल स्कंद माता को चढ़ाया जा सकता है. ऐसा करने से माँ स्कंदमाता की कृपा से आपके जीवन में शांति एवं निरोगता आती है. लेकिन यहां ध्यान देने की बात यह है कि पीले रंग का कोई ऐसा पुष्प नहीं चढ़ाना चाहिए जिसमें से दूध जैसा पदार्थ निकलता हो.

गेंदा फूल

नवरात्र के छठवें दिन माता कात्यायनी की पूजा-अनुष्ठान का विधान है. माता कात्यायनी भी माँ दुर्गा का ही एक स्वरूप है. ज्योतिषियों के अनुसार माता कात्यायनी को गेंदे का फूल बहुत प्रिय है. इसलिए इस दिन गेंदे का फूल ही माँ को अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने वाले भक्त जीवन में कभी असफल नहीं होते.

कृष्ण कमल

नवरात्र के सातवें दिन माँ दुर्गा के सातवीं स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा-अनुष्ठान किया जाता है. पूजा के दरम्यान माँ कालरात्रि को कृष्ण कमल पुष्प अर्पित किया जाता है. ऐसा करने से माँ कालरात्रि प्रसन्न होती हैं.

मोगरा यानी बेला फूल

चैत्रीय नवरात्र के आठवें दिन, माँ महागौरी की विशिष्ठ पूजा-अनुष्ठान का विधान है. इस पूजा में माँ महागौरी को सफेद मिठाई के साथ सफेद रंग का मोगरा यानी बेला का फूल अर्पित किया जाता है. माँ प्रसन्न होती हैं.

सफेद चंपा का फूल

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माँ दुर्गा के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. पूजा अनुष्ठान के लिए सफेद चंपा का फूल देवी माँ को अर्पित किया जाता है. ऐसा करने वाले भक्तों को दिव्य ज्ञान, ऊर्जा और शक्ति का आशीर्वाद देती हैं.

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