Balasaheb Thackeray 7th Death Anniversary: आज ही के दिन बालासाहेब ठाकरे छोड़ गए थे दुनिया, जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ रोचक बातें
बाला साहेब ठाकरे की सांतवीं पुण्यतिथि, (फोटो क्रेडिट्स: Twitter)

Balasaheb Thackeray 7th Death Anniversary: आज बाला साहेब ठाकरे की सांतवीं पुण्यतिथि है. आज ही के दिन 17 नवंबर 2012 को वे इस दुनिया को अलविदा कह गए थे. उनका पूरा नाम बालासाहेब केशव ठाकरे (Balasaheb Keshav Thackeray) था. उनका जन्म 23 जनवरी, 1926 को पुणे में हुआ था. वे एक प्रसिद्ध पत्रकार और राजनीतिज्ञ और राजनीतिक पार्टी शिवसेना के संस्थापक थे. ठाकरे ने अपने करियर की शुरुआत 1950 के दशक में मुंबई में फ्री प्रेस जर्नल के लिए एक कार्टूनिस्ट के रूप में की थी. उनके कार्टून जापानी दैनिक समाचार पत्र असाही शिंबुन (Asahi Shimbun) और द न्यूयॉर्क टाइम्स (The New York Times) के रविवार संस्करण में भी छपते थे. 1960 के दशक में वह तेजी से राजनीति में शामिल हो गए. उन्होंने मार्मिक नामक एक साप्ताहिक मराठी पत्रिका की शुरुआत की. जिसे उन्होंने अपने भाई के साथ प्रकाशित किया. इस पत्रिका के जरिए उन्होंने मुंबई में बाहरी लोगों के आकर बसने के खिलाफ लिखा. 1966 में उन्होंने शिवसेना की स्थापना की

माने जाते थे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति

बाल ठाकरे ने कभी कोई आधिकारिक पद नहीं संभाला और न ही कोई चुनाव लड़े और न ही वोट दिया इसके बाद भी वे महाराष्ट्र के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माने जाते थे. उन्हें अक्सर "महाराष्ट्र के गॉडफादर" के रूप में संबोधित किया जाता था. उनके चाहने वाले उन्हें 'हिंदू हृदय सम्राट' कहते थे. उनकी पार्टी ने भारत की संवैधानिक स्थिति को धर्मनिरपेक्ष राज्य के रूप में समाप्त करने और देश के आधिकारिक धर्म के रूप में हिंदू धर्म को अपनाने की वकालत की. बाल ठाकरे इतने ज्यादा पावरफुल थे कि 1990 के दशक में शिवसेना ने महाराष्ट्र पर राजनीतिक नियंत्रण हासिल किया और तभी उन्होंने मुंबई का नाम मुंबादेवी देवी के नाम पर रखा था. बाल ठाकरे पर उपन्यासकार सलमान रुश्दी ने1995 में 'द मूर लास्ट सिघ' नाम की व्यंग्य किताब लिखी थी, जिस पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया गया था.

हिंसक दंगे भड़काने के लगे थे आरोप

वर्षों से बाल ठाकरे पर हिंदू और मुसलमानों के बीच हिंसक दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था, जिसमें सबसे कुख्यात घटना 1992-93 की है, जब मुंबई में कई हफ्तों तक मुस्लिम विरोधी दंगों के दौरान लगभग 1,000 लोग मारे गए थे. इस बारे में उन्होंने एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वह हर मुस्लिम के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन वो मुसलमान जो इस देश में रहते हैं लेकिन यहां के नियमों का पालन नहीं करते हैं "मैं ऐसे लोगों को देशद्रोही मानता हूं."

साल 1995 में शिवसेना बनी बड़ी राजनीतिक ताकत

बाल ठाकरे पर कई आरोप लगे कभी अवैध काम करने के तो कभी हिंसक रणनीति अपनाने के. इसके बावजूद बाल ठाकरे की पार्टी शिवसेना महाराष्ट्र में एक बड़ी राजनीतिक ताकत बन गई. बीजेपी के साथ गठबंधन में शिवसेना ने साल 1995 में राज्य की विधानसभा में 288 सीटों में से 138 सीटें जीतीं. गठबंधन सरकार बनाने के लिए ये सीटें पर्याप्त थीं.

1992 में बाबरी मस्जिद किया नष्ट 

सत्ता में बाल ठाकरे हमेशा विवादों में बने रहे. उनके समर्थकों ने 1992 में अयोध्या में 16 वीं शताब्दी के बाबरी मस्जिद को नष्ट कर दिया था. साल 2000 और मुंबई 1992-93 के दंगों के घातक आरोपों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया.

वोट डालने और चुनाव लड़ने पर लगा था प्रतिबंध:

बाला साहेब पर नफरत और डर की राजनीति करने का आरोप लगा था, जिसकी वजह से चुनाव आयोग ने 28 जुलाई 1999 को 6 साल के लिए बाला साहेब ठाकरे के वोट डालने और चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था. साल 2005 में इस बैन को खत्म कर दिया गया. बैन खत्म होने के बाद बाल ठाकरे ने पहली बार 2006 में बीएमसी चुनाव में वोट डाला था.

साल 2012 में लगातार उनका स्वास्थ्य खराब होने लगा, सांस लेने में दिक्कत के चलते उन्हें 25 जुलाई 2012 को मुम्बई के लीलावती अस्पताल में भर्ती किया गया. 14 नवम्बर 2012 को जब उन्होंने खाना पीना छोड़ दिया तो, उन्हें अस्पताल से छुट्टी दिलाकर उनके निवास पर ले आया गया और घर पर ही इलाज जारी किया गया. 17 नवंबर नवम्बर 2012 को उनकी मृत्यु हो गई.