Akhand Deep on Navratri 2024: नवरात्रि पर अखंड दीप जला रहे हैं, तो जानें इसके नियम एवं ध्यान! रखें इन बातों का भी ध्यान!

इस वर्ष आश्विन नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा यानी 3 अक्टूबर 2084 से हो रहा है, जिसका समापन अर्थात नवमी 11 अक्टूबर 2024 को होगा. इस दरमियान आदिशक्ति अर्थात माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अनुष्ठान होती है. नवरात्रि के इस महान आध्यात्मिक पर्व पर कहीं दुर्गा सप्तशती का पाठ होता है, तो कहीं रामचरितमानस का भी नौ दिनों तक पाठ होता है.

Diya (img: Pixabay)

इस वर्ष आश्विन नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा यानी 3 अक्टूबर 2084 से हो रहा है, जिसका समापन अर्थात नवमी 11 अक्टूबर 2024 को होगा. इस दरमियान आदिशक्ति अर्थात माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अनुष्ठान होती है. नवरात्रि के इस महान आध्यात्मिक पर्व पर कहीं दुर्गा सप्तशती का पाठ होता है, तो कहीं रामचरितमानस का भी नौ दिनों तक पाठ होता है. नौ दिनों तक उपवास रखे जाने वाले इस आध्यात्मिक पर्व पर कलश स्थापना और अखंड दीप की भी प्रथा है. यहां हम बात करेंगे कि इस पुनीत पर्व पर अखंड दीप क्यों जलाया जाता है, इसके क्या नियम इत्यादि हैं.

क्यों जलाया जाता है अखंड दीप?

नवरात्रि की प्रतिपदा को कलश स्थापना के साथ अखंड दीप जलाने का विधान है, जिसे नौ दिनों तक लगातार प्रज्वलित करके रखा जाता है. मान्यता है कि यह अखंड दीप प्रज्वलित करने से जीवन के सारा अंधेरा मिट जाता है. इसका बुझना अशुभता का प्रतीक है. इसके विपरीत अखंड दीपक को नौ दिनों तक प्रज्वलित रखने से घर में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है. घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करतीं, तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. नियमबद्ध तरीके से अखंड दीप जलाने से माँ दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों की हर मनोकामनाएं पूरी करती हैं. यह भी पढ़ें : Sharad Navratri 2024 HD Images: अपनों से कहें हैप्पी नवरात्रि! भेजें मां दुर्गा के ये मनमोहक WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Photos Wishes और Wallpapers

अखंड ज्योति के नियम

अखंड ज्योति मां दुर्गा के दाईं ओर रखना चाहिए. इसकी ज्योति जलाये रखने के लिए इसमें तिल का तेल अथवा शुद्ध घी डालें. दीप की बत्ती लंबी और दीप का बड़ा होना चाहिए. दीपक की बत्ती बार-बार नहीं बदलनी चाहिए. दीपक के नीचे चावल रखें. दीपक की लौ पूर्व, उत्तर अथवा पश्चिम दिशा की ओर रखनी चाहिए. अखंड दीप जलाने से पूर्व भगवान गणेश एवं मां दुर्गा की पूजा अवश्य करनी चाहिए. दक्षिण दिशा में दीपक का मुंह हरगिज नहीं रखना चाहिए. दीपक को बुझने से बचाने के लिए इसके ऊपर चिमनी रखनी चाहिए. नवरात्रि का अखंड दीपक अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. दीप बुझने पर नई बत्ती जलानी चाहिए. बत्ती बदलते वक्त एक छोटा दीपक जलाकर रखें.

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