26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में ऐतिहासिक विजय हासिल की थी. इसलिए हर वर्ष 26 जुलाई को देश भर में ‘कारगिल विजय दिवस’ मनाया जाता है. करीब 2 माह तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है, जिस पर हर भारतीय गर्व करता है. कहा जाता है कि करीब 18 हजार फीट की ऊँचाई पर कारगिल युद्ध में 527 सैनिकों ने शहादत दी, और 1300 से ज्यादा घायल हुए. वहीं पाकिस्तान के 2700 सैनिक मारे गये और 750 भाग खड़े हुए. आइये जानते हैं, भारतीय सेना की जांबाजी की गाथा.
कारगिल विजय दिवस का इतिहास
साल 1999 की सर्दियों से ठिठुरती रात थी. सशस्त्र पाकिस्तानी सेना 'ऑपरेशन बद्र' के तहत चोरों की तरह भारतीय सीमा में घुसकर नियंत्रण रेखा (LOC) के भारतीय हिस्से पर कब्जा कर लिया. वे इस क्षेत्र में भारत की सैन्य-शक्ति को कमजोर कर कश्मीर और लद्दाख के बीच के कनेक्शन को काटना चाहते थे. भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने घुसपैठियों के खिलाफ 'ऑपरेशन विजय' का शंखनाद किया, और जवाबी हमला शुरू किया. भारत यहीं नहीं रुका. 'ऑपरेशन सफ़ेद सागर' के तहत, भारतीय वायु सेना ने भी दुश्मन पर आकाशीय हमला कर दिया. इसके पहले कि पाकिस्तानी पोजीशन को समझता भारतीय नौसेना ने 'ऑपरेशन तलवार' चलाकर दुश्मन पर तिहरा प्रहार कर दिया. पाकिस्तानी सेना और उसके तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ को सपने में भी उम्मीद नहीं की थी, कि उसकी घुसपैठ उसे इतनी भारी पड़ेगी कि भागने के रास्ते तक नहीं मिलेंगे. अंततः भारतीय सेना की टुकड़ी मिशन से भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को धूल चटाया. यह भी पढ़ें : आम बजट विकसित भारत के निर्माण में नया अध्याय लिखेगा: नायब सिंह सैनी
क्या था घटनाक्रम?
3 मई 1999- कारगिल की सबसे ऊंची पहाड़ियों पर करीब पांच हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने घुसपैठ कर महत्वपूर्ण स्थानों पर कब्जा जमा लिया. कारगिल में भेड़ चरा रहे एक चरवाहे को कुछ संदिग्ध-सा लगा. उसने गश्त कर रही भारतीय सेना को अपनी शंका बताई. घटना की पुष्टि होते ही भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया.
5 मई 1999- भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम जांच करने पहुंची तो पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें पकड़ा और पांच सेना की हत्या कर दिया.
9 मई 1999- पाकिस्तानी सेना रह-रह कर गोलीबारी कर रही थी. शाम होते-होते पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल स्थित भारतीय सेना का गोला बारूद स्टोर नष्ट कर दिया.
10 मई 1999- इस दिन लद्दाख के प्रवेश द्वार (द्रास, काकसार और मुश्कोह सेक्टर) में पाकिस्तानी सैनिक नज़र आये.
27 मई 1999- पाकिस्तानी सेना कारगिल के शीर्ष से आक्रमण करने के कारण भारतीय थल सेना के लिए उन पर प्रहार कर पाना मुश्किल हो रहा था, अंततः भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी सेना पर मिग-27 और मिग-29 से हमला किया, जिससे भारतीय थल सेना को उन तक पहुंचने में मदद मिली.
भारत पाकिस्तानी सेना के बीच दो माह तक यह युद्ध चला. इसमें भारतीय सेना की ओर से भारी संख्या में रॉकेट और बमों का इस्तेमाल किया गया. करीब 2 लाख 50 हजार गोले दागे गए. 5, हजार बम फायर करने के लिए 300 से ज्यादा मोर्टार, तोपों और रॉकेटों का इस्तेमाल किया गया. कहा जाता है कि 17 दिनों तक युद्ध चलता रहा, जिसमें हर रोज प्रति मिनट में एक राउंड फायर किया गया. कहा जाता है कि ऐसा पहली बार हुआ, जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की. अंततः 26 जुलाई 1999 को आधिकारिक तौर पर कारगिल युद्ध समाप्त हुआ. भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों के पूर्ण निष्कासन की घोषणा की.