शशि थरूर चले अनिल एंटनी की रहा? बोले, 'सुप्रीम कोर्ट गुजरात दंगों पर अंतिम फैसला सुना चुका है, हमें इस मुद्दे पर बहस करने से बहुत कम फायदा होगा'
Shashi Tharoor (Photo Credit : Twitter)

नई दिल्ली, 28 जनवरी : बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर केंद्र के प्रतिबंध को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेर रखा है. और बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर देश में विवाद छिड़ा हुआ है. इस बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर का एक बयान उनकी राय के रूप में सामने आया है. जो कांग्रेस पार्टी की लाइन से अलग है. कांग्रेस से जुड़े संगठन बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की अलग-अलग जगहों पर स्क्रीनिंग कर रहे हैं ऐसे समय में शशि थरूर का इस तरह का बयान आना कहीं अनिल एंटनी की राह पर चलने जैसा तो नहीं है?

आपको बता दें कि शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने ट्वीट कर लिखा मैंने वो नहीं कहा, मैंने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि मेरा मानना है कि गुजरात के घाव पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं, लेकिन यह देखते हुए कि सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला सुना चुका है. हमें इस मुद्दे पर बहस करने से बहुत कम फायदा होगा. यह भी पढ़ें : Gujarat: जामनगर में नाबालिग को पीटने के आरोप में दो पुलिसकर्मी निलंबित

थरूर ने यह भी लिखा है कि मैं स्वीकार करता हूं कि अन्य लोग मेरे विचार से असहमत हो सकते हैं, लेकिन सांप्रदायिक मुद्दों पर मेरे चार दशक के रिकॉर्ड और गुजरात दंगा पीड़ितों के लिए खड़े होने के दो दशक के रिकॉर्ड को तोड़-मरोड़ कर पेश करना बेहद निंदनीय है. थरूर ने कहा कि सेक्युलर कैंप के लोगों को अपनों के प्रति ईष्र्या रखने से बहुत कम फायदा होगा.

गौरतलब है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर पिछले दिनों जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में भी हंगामा हो चुका है. दिल्ली पुलिस ने 2002 के गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की योजना बनाने को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय से भी 24 छात्रों को शुक्रवार को हिरासत में ले लिया. इस बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर का इस तरह का बयान जो कांग्रेस पार्टी की लाइन से परे है, किस ओर इशारा कर रहा है?

सेकुलर लॉबी शब्द का इस्तेमाल अब तक बीजेपी की तरफ से होता रहा है. लेकिन थरूर ने जिस तरह से शब्द का इस्तेमाल किया है. राजनीतिक जानकार यह सवाल उठा रहे हैं कि हो सकता है थरूर अनिल एंटनी की राह पर जा रहे हों क्योंकि हाल ही में कांग्रेसी नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के मुद्दे पर अपनी राय रखी थी. अनिल एंटिनी ने अपनी राय में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री फिल्म की आलोचना की थी. सूत्रों के अनुसार आलोचना के बाद उन पर ट्वीट हटाने का दबाव बना जिसके बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया.