HC on Cruelty: बार-बार ससुराल छोड़कर चली जाती थी पत्नी, हाई कोर्ट ने कहा, यह मानसिक क्रूरता, मंजूर किया तलाक
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दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा हाल ही में की गई टिप्पणियों के अनुसार, जब कोई महिला लगातार अपने पति की गलती के बिना अपने पति का साथ या वैवाहिक घर छोड़ देती है तो इसे मानसिक क्रूरता माना जाता है. यह टिप्पणी जस्टिस सुरेश कुमार कैत और नीना बंसल कृष्णा के पैनल ने तब की जब उन्होंने एक व्यक्ति को उसकी अलग हो रही पत्नी की क्रूरता और परित्याग का हवाला देते हुए हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के अनुसार तलाक दे दिया. कोर्ट ने आगे कहा कि वफादारी, प्रतिबद्धता और आपसी सहयोग एक स्वस्थ विवाह की नींव हैं. Read Also: Fake Rape Case: बलात्कार के झूठे मामले में फंसाने वाली महिला को कोर्ट ने नहीं दी जमानत; जानें पूरा मामला.

“यह एक स्पष्ट मामला है जहां प्रतिवादी (पत्नी) ने अपीलकर्ता (पति) की ओर से कोई भी कार्य या गलती किए बिना, समय-समय पर वैवाहिक घर छोड़ दिया. कोर्ट ने कहा, पति को बिना किसी कारण यह सब झेलना पड़ा, यह मानसिक क्रूरता है.

पीठ ने कहा कि विवाह आपसी सहयोग, समर्पण और निष्ठा की उपजाऊ भूमि पर फलता-फूलता है, लेकिन बार-बार तूफान की तरह बार-बार अलग होने की हरकतें, केवल इसकी नींव को उखाड़ देती हैं और रिश्ते को खतरे में डालती हैं. अदालत ने कहा, "दूरी से यह बंधन टूट जाता है, और यह यह गहरा घाव भी छोड़ता है, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता."

इस दंपति की शादी 1992 में हुई और उनके एक लड़का और एक लड़की है. इससे पहले फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक की याचिका खारिज कर दी थी. पति ने दावा किया कि उसकी पत्नी असंयमी और अस्थिर स्वभाव की है. वह बहुत जुल्म करती है. पति ने बताया की उसकी पत्नी 2011 सहित कम से कम सात मौकों पर ससुराल छोड़कर जा चुकी है.

फैमिली कोर्ट के बाद पति ने हाई कोर्ट में अपील की जिसे स्वीकार कर लिया गया. हाई कोर्ट ने कहा कि पति ने क्रूरता का कोई कार्य नहीं किया गया था. पीठ ने कहा सबूतों से पता चलता है कि पत्नी अपनी मां के आचरण से असंतुष्ट थी, नाखुश थी जिससे वह वैवाहिक घर में इतनी दुखी थी कि उसे स्थान, नियंत्रण और सम्मान की कमी महसूस हुई. हाई कोर्ट ने कहा यह पति के लिए मानसिक क्रूरता का मामला है, जो अधिनियम की धारा 13(1)(ia) के तहत क्रूरता के आधार पर उसे तलाक का अधिकार देता है.