इंफाल: मणिपुर में हालात एक फिर बिगड़ते जा रहे हैं. मई महीने में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच शुरू हुई हिंसा एक बार उग्र रूप ले चुकी है. इस बीच 19 थानों को छोड़कर पूरे मणिपुर को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया गया है. पहाड़ी इलाकों में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. जबकि इंफाल घाटी के 19 थानों और असम की सीमा से सटे एक इलाके को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है. इस बीच प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी दफ्तर को आग लगा दी है. India-Canada Row: पाकिस्तान का डबल गेम! ISI ने इसलिए रची निज्जर की हत्या की साजिश.
बुधवार को उग्र भीड़ ने थौबल जिले में बीजेपी मंडल कार्यालय को आग लगा दी. थौबल जिले में स्थित कार्यालय को भीड़ के एक बड़े समूह ने निशाना बनाया. सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे सुरक्षाबलों ने आग पर काबू पाया. इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है. हालांकि कार्यालय में रखा सामान जलकर खाक हो गया.
बता दें कि छह जुलाई से लापता दो छात्रों की हत्या के विरोध में स्थानीय लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. राज्य के कई हिस्सों में हिंसा की घटनाएं हो रही हैं. राजधानी इंफाल के सिंगजामेई इलाके में मंगलवार रात छात्रों और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) कर्मियों के बीच झड़प हो गई, जिसमें 45 प्रदर्शनकारी घायल हो गए. इसके स्थिति तनावपूर्ण है.
इन इलाकों को छोड़ पूरे मणिपुर में AFSPA
मणिपुर के राज्यपाल ने 19 थाना क्षेत्रों में आने वाले इलाकों को छोड़कर, पूरे मणिपुर राज्य को एक अक्टूबर से छह महीने की अवधि के लिये ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया है. जिन थाना क्षेत्रों में यह कानून लागू नहीं किया गया है, उनमें इंफाल, लांफेल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लैमसांग, पास्टोल, वांगोई, पोरोम्पैट, हेंगांग, लामलाई, इरिबुंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नंबोल, मोइरंग, काकचिन और जिरबाम शामिल हैं.
जिन इलाकों को अफस्पा के दायरे से बाहर रखा गया है, वहां बहुसंख्यक मैतेई समुदाय का दबदबा है, जिसमें असम की सिलचर घाटी से सटा जिरीबाम इलाका भी शामिल है.
अफस्पा की अवधि के विस्तार के बीच सेना और असम राइफल्स राज्य पुलिस की सहमति के बिना 19 पुलिस थानों के तहत क्षेत्रों के अंदर कार्रवाई नहीं कर सकते हैं.
क्या है अफस्पा
45 साल पहले भारतीय संसद ने “अफस्पा” यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 को लागू किया. यह एक सैन्य कानून है, जिसे “डिस्टर्ब” यानी अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है, यह कानून सुरक्षा बलों और सेना को कुछ विशेष अधिकार देता है. जहां अफस्पा लागू होता है, वहां सशस्त्र बलों के अधिकारी को जबरदस्त शक्तियां दी जाती हैं. जैसें बिना वारंट किसी के घर में अंदर जाकर उसकी तलाशी ली जा सकती है. वाहन को रोक कर उसकी तलाशी ली जा सकती है.
मणिपुर में तीन मई से जारी है हिंसा
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी. हिंसा की घटनाओं में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं.
मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.