GST ने बदला भारत का टैक्स सिस्टम, लेकिन शराब, पेट्रोल और बिजली पर अभी भी VAT क्यों हैं लागू?
जीएसटी ने भारत में कई टैक्स सिस्टम को सरल और पारदर्शी बनाया है, लेकिन कुछ उत्पादों जैसे शराब, पेट्रोल, डीज़ल और बिजली पर अब भी राज्य वैल्यू एडेड टैक्स लागू है. यह हाइब्रिड टैक्स सिस्टम राज्यों को राजस्व और नीति बनाने में स्वतंत्रता देता है.
भारत में 2017 में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू होने के बाद देश के टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव आया है. जीएसटी ने कई इनडायरेक्ट टैक्सेज (Indirect Taxes) को खत्म कर दिया, जिससे टैक्स देने की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हुई है. हालांकि, कुछ टैक्स अभी भी बने हुए हैं, और उन पर अलग नियम लागू होते हैं. खासतौर पर वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) अब भी कुछ उत्पादों पर लागू होता है. आइए जानते हैं पूरी डिटेल क्या है?
वैल्यू एडेड टैक्स क्या है?
वैल्यू एडेड टैक्स राज्य स्तर पर लागू होने वाला टैक्स है, जो पहले लगभग सभी वस्तुओं पर लगता था. लेकिन अब यह केवल कुछ खास उत्पादों जैसे शराब, पेट्रोल, डीज़ल और बिजली पर लागू होता है.
जीएसटी क्या है?
जीएसटी एक यूनिफाइड नेशनल टैक्स (Unified National Tax) है, जो ज्यादातर वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होता है. वर्तमान में इसके चार स्लैब 5%, 12%, 18% और 28% हैं. सरकार इस दिवाली से नए जीएसटी नियम लागू करने की योजना बना रही है, जिसमें केवल दो स्लैब 5% और 18% हो सकते है.
वैल्यू एडेड टैक्स के तहत कौन से आइटम आते है?
जिन वस्तुओं पर जीएसटी लागू नहीं होता, उन पर वैल्यू एडेड टैक्स लगाया जाता है. इसमें मुख्य रूप से मानव उपभोग (Human Consumption) के लिए शराब, पेट्रोल और डीज़ल जैसे पेट्रोलियम उत्पाद, और बिजली शामिल हैं. चूंकि इन चीज़ों पर जीएसटी लागू नहीं होता, इसलिए राज्यों को इन्हें वैल्यू एडेड टैक्स के माध्यम से टैक्स लगाने का अधिकार प्राप्त है.
जीएसटी के तहत कौन से आइटम आते है?
खाद्य सामग्री, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू सामान, सेवाएँ, मनोरंजन, यात्रा और लक्ज़री उत्पादों पर जीएसटी लागू होता है. आवश्यक वस्तुओं पर कम जीएसटी दरें लगती हैं, जबकि लक्ज़री और ‘सिन’ प्रोडक्ट्स (Sin Products) यानी सिगरेट, तंबाकू जैसी हानिकारक वस्तुओं पर उच्च जीएसटी स्लैब लागू किया जाता है. नए जीएसटी सुधारों के तहत डिमेरिट यानी हानिकारक वस्तुओं पर 40% जीएसटी लगाया जा सकता है, जिससे इन उत्पादों की कीमतों और खपत पर नियंत्रण रखा जा सके.
राज्यों के लिए वैट का महत्व
वैट राज्य सरकारों के नियंत्रण में होता है, और यह उनकी मुख्य आय का एक अहम स्रोत है. राज्य अपनी आर्थिक नीतियों और निवेश को आकर्षित करने के लिए वैट की दरें बदल सकते हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति और व्यापार का माहौल बेहतर बनता है.
शराब पर वैट
मानव उपभोग के लिए शराब को जानबूझकर जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, ताकि राज्य सरकारें इसके टैक्सेशन पर पूरा नियंत्रण बनाए रख सकें. इसका मतलब है, कि शराब पर राज्य खुद वैट या अन्य संबंधित टैक्स तय कर सकती हैं और अपनी आय बढ़ाने के लिए इसमें बदलाव कर सकती हैं.
डुअल टैक्स बिल
रेस्टोरेंट के बिल में अक्सर दोनों प्रकार के टैक्स दिखाई देते हैं, जिसे डुअल टैक्स बिल (Dual Tax Bill) कहा जाता है. इसमें गैर-शराबीय खाद्य (Non-Alcoholic Food) और पेय पदार्थों (Beverages) पर जीएसटी लागू होता है, जबकि शराब पर वैल्यू एडेड टैक्स लगाया जाता है.
पेट्रोल, डीज़ल और बिजली
पेट्रोल और डीज़ल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Central Excise Duty) और राज्य वैल्यू एडेड टैक्स (State VAT) दोनों लागू होते हैं. बिजली पर जीएसटी लागू नहीं होता है, लेकिन वैट के तहत इस पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्य सरकारों को प्राप्त है. राज्य सरकारें शराब और ईंधन (Alcohol & Fuel) पर टैक्स बदलकर अपनी आय बढ़ा सकती हैं, जबकि बिजली का वैट लागत, ट्रांसमिशन (Transmission), वितरण (Distribution) और सब्सिडी (Subsidy) के आधार पर निर्धारित होता है.
भारत का यह हाइब्रिड टैक्स सिस्टम (Hybrid Tax System) राज्यों को आर्थिक रूप से अधिक स्वतंत्र बनाता है, और उन्हें अलग-अलग स्रोतों से राजस्व (Revenue) जुटाने का अवसर देता है. इसके साथ ही यह व्यवस्था केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को अपनी-अपनी नीतियां बनाने और लागू करने में फ्लेक्सिबिलिटी भी प्रदान करती है, जिससे देश की वित्तीय संरचना संतुलित रहती है.